वास्तुशास्त्र और महत्त्वपूर्ण विचार - Vastushastra Aur Mahatvapoorna Vichaar | Astrologer Dr. S. N. Jha
🕉️ ||वास्तुशास्त्र और महत्त्वपूर्ण विचार|| ||"वास्तुशास्त्रं प्रवक्ष्यामी लोकानां हितकाम्यया"|| वास्तुशास्त्र शब्द का अर्थ है, "निवास करना" जिस भूमि पर मनुष्य निवास करते है उसे "वास्तु" कहा जाता है| वास्तु देवता को आत्मवर्धनशील भी कहा गया है|एक कहावत है कि " अंधकासुर दैत्य एवम भगवान शंकर के बीच युद्ध हुआ | इस युद्ध में शंकरजी के शरीर से पसीने की कुछ बूँदे ज़मीन पर गिर पड़ी उन बूंदों से आकाश और पृथ्वी को भयभीत करने वाला एक प्राणी प्रकट हुआ,और देवों के साथ युद्ध करने लगा| तब सब देवताओं ने उसे पकड़ कर उसका मुह नीचे कर के दबा दिया और उसको शांत करने के लिए वर दिया - "सभी शुभ कार्यो में तेरी पूजा होगी"| तब देवों ने उस पुरुष पर वास किया | इससे कारण उसका नाम "वस्तापुरुष" प्रचलित हुआ | उसमें सभी देवता निवास करते है अतः सभी बुद्दिमान पुरुष उसकी पूजा करते हैं | तब से सभी शुभ कार्यो में जैसे ग्राम, नगर, दुर्ग, प्रासाद, मंदिर, मकान, जलाशय, उद्यान, आदि-आदि के निर्माण के अवसर पर वास्तुपुरुष की पुजा अनिवार्य है | वास्तु-पुरुष की पूजा...