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आपका राशि फल क्या है ? - By Astrologer Dr Sunil Nath Jha

आपका राशि फल क्या है ? - By Astrologer Dr Sunil Nath Jha यद्व्यक्तात्मको विष्णुः कालरूपो जनार्दनः | तस्याङ्गानि निबोध त्वं क्रमान्मेषादिराशयः || मेषो वृषश्च मिथुनः कर्क सिंह कुमारिकाः |  तुलालिचापमकराः कुम्भमीनौ यथाक्रमम् || रविश्चद्रो  धरापुत्रः  सोमपुत्रो  वृहस्पतिः | भृगुः शनैश्चरो  राहुः केतुश्चैते ग्रहाः नव || जन्म कालिक चन्द्र जिस राशि में रहता है उसको चन्द्र  राशि कहते है | जब चन्द्र राशि का स्वामी और चन्द्रमा शुभ और बली होते है तो नीचे लिखे हुए जन्म राशि फल भी ठीक ठीक मिलेगा | जातक का राशि या मन किस प्रकार के होते है |  काल स्वरूपं जो अव्यक्तात्मा जनार्दन विष्णुः है | उन्हीं के अंग मेषादि राशियाँ है | वे द्वादश राशियाँ मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ तथा मीन है सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु ये नव ग्रह है |  ;- वृत्ताताम्रदृगुष्णशाकलधुभुक्  क्षिप्रप्रसादोऽटनः  कामी दुर्बलजानुरस्थिरधनः शुगेऽङ्गनावल्लभः |  सेवाज्ञः कुनखी व्रणांंकितशिरा मानी सहोत्थाग्रजः  श...

आपका लग्न क्या है - Janiye Aapka Lagn Kya Hai? | Astrologer Dr S.N. Jha

आपका लग्न क्या है - Janiye Aapka Lagn Kya Hai? चन्द्र लग्नं शरीरं स्यात् , लग्नं स्यात् प्राणसंज्ञकम् | ते    उमेसंपरिक्ष्यैव    सर्व    नाडी    फलम्समृतम्   ||   कुण्डली मानव जीवन के संचित प्रारब्धों की निधि है जिसमें जातक से सम्बंधित स्वास्थ्य, ज्ञान, धन, कुटुम्ब, सफलता- असफलता, उन्नति- अवन्ती, सुख- दुःख आदि का विचार राशियाँ, भावों और ग्रहों द्वारा विचार किया जाता है | चन्द्र लग्न शरीर है,लग्न प्राण है | वैसे लग्न शरीर, चन्द्र मन और  सूर्य लग्न आत्मा या पराक्रम माना जाता है | इन दोनों का सम्यक् विचार करने के बाद ही कुण्डली का फल कहना चाहिए | अतः इन्हें ध्यान में रखकर जिस भाव में सूर्य और चन्द्र हो उनको भी लग्न भाव की तरह समझना चाहिए | भावादी की गणना में भी इन लग्नों को स्थान देना चाहिए तथा इससे भी वे विचार करने चाहिए जो लग्न से किये जाते है | लग्नों और राशियों को सतत परिवर्तित होते रहने से उसके फलों में भी परिवर्त्तन होता रहता है | साथ ही ग्रह भी इन भावों और राशियों को अपने प्रभाव से प्रभावित कर फलों में परिवर्त्तन लाते रहते...