आपका राशि फल क्या है ? - By Astrologer Dr Sunil Nath Jha
यद्व्यक्तात्मको विष्णुः कालरूपो जनार्दनः |
तस्याङ्गानि निबोध त्वं क्रमान्मेषादिराशयः ||
मेषो वृषश्च मिथुनः कर्क सिंह कुमारिकाः |
तुलालिचापमकराः कुम्भमीनौ यथाक्रमम् ||
रविश्चद्रो धरापुत्रः सोमपुत्रो वृहस्पतिः |
भृगुः शनैश्चरो राहुः केतुश्चैते ग्रहाः नव ||
जन्म कालिक चन्द्र जिस राशि में रहता है उसको चन्द्र राशि कहते है | जब चन्द्र राशि का स्वामी और चन्द्रमा शुभ और बली होते है तो नीचे लिखे हुए जन्म राशि फल भी ठीक ठीक मिलेगा | जातक का राशि या मन किस प्रकार के होते है |
काल स्वरूपं जो अव्यक्तात्मा जनार्दन विष्णुः है | उन्हीं के अंग मेषादि राशियाँ है | वे द्वादश राशियाँ मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ तथा मीन है सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु ये नव ग्रह है | ;-
वृत्ताताम्रदृगुष्णशाकलधुभुक् क्षिप्रप्रसादोऽटनः
कामी दुर्बलजानुरस्थिरधनः शुगेऽङ्गनावल्लभः |
सेवाज्ञः कुनखी व्रणांंकितशिरा मानी सहोत्थाग्रजः
शक्त्या पाणीतलेऽङ्कितोऽतिचपलस्तोये च भीरुः क्रिये ||
मेष राशि शुभ- चन्द्र हो तो जातक उत्तम कार्य कुशल, सुशील, राज प्रिय, गुणवान्, गुरु और ईश्वर भक्त, धनवान्, पुत्रवान्, तेजस्वी, कीर्त्तिमान, परोपकारी, समाजसेवी, शौक़ीन, शीध्रगामी, शीघ्र क्रोधी, चपल, अपने अनुसार चलने वाला, कार्य से घबराने वाला, उतार चढ़ाव से युक्त जीवन, जल से भय, सुडौल शरीर, स्त्री प्रेमी, कर्मप्रधान और उलझन से युक्त रहते है | मेष राशि वाले जातकों कों झूठों प्रशंसको और चापलूसों से विशेष रूप से घिरे रहते है | और अपने अहंकार में वे ऐसे काम कर बैठेते है जो उनके पतन के कारण बन जाते है | इनके मस्तिष्क में नई नई और मौलिक योजनाएं होते हुए भी धैर्य के अभाव में वे प्रायः पूरा करने में असमर्थ होते है | वे न दूसरों के दृष्टिकोण को समझना चाहते है और न दूसरों की सलाह सुनना पसन्द करते है | वे जीवन की सच्चाई को भी वे अपने अनुभव से ही परखते है | मेष जातकों की सदा इस बात कि आकांक्षा करते है उनके संसर्ग में आने वाले व्यक्ति अपने से भिन्न और श्रेष्ठ समझे तथा उनके व्यक्तित्व का मान रखे, और हर जगह प्रधान समझा जा सके | इस राशि वाले जातकों के जीवन में प्रेम और मित्रता का महत्वपूर्ण स्थान होता है |
उसका यह घमण्डप्रायः उसके के लिए विअपत्ति का कारण बन जाता है | समाज से हट कर काम करते है | ये कफांस और उदर विकार युक्त तथा ये स्त्री प्रेमी और पुत्रादि सुखसंपन्न होता है | माता-पिता और परिवार से परिस्थिति वस् सुख कम मिलना भी सम्भव, नेतृत्व या नेतागीरि भी सम्भव,ये कोई स्वतन्त्र व्यवसाय में ३३ वर्ष के बाद उन्नति करने वाला और अनेक मनुष्यों पर अधिकार रखने वाला व्यवसायियों में उत्तम होता है | उसे कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वाले मनुष्यों के साथ व्यवसाय करने से शुभदायी होता है | फेफड़ा से सम्बंधित रोग ग्रस्त होता है | मेष राशि वाले को प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी तिथियाँ के लिए अनिष्टदायी होता है | और ३, ६, ८, १२, १४ और १५ वर्ष, महिना अथवा दिन जातक के जीवन में अनिष्टकारी होता है | बुधवार अशुभ है |
कान्तः खेलगतिः पृथुरुवदनः पृष्ठास्यपार्श्वाङ्कित
स्त्यागी क्लेशसहः प्रभुः ककुद्वान् कन्याप्रजः श्लेष्मलः |
पुर्वैबन्धुनात्मजैर्विरहितः सौभाग्ययुक्तः क्षमी
दीप्ताग्निः प्रमदाप्रियः स्थिरसुहृन्मध्यांत्यसौख्यो गवि ||
वृष राशि गत - चन्द्र शुभ हो तो जातक सुन्दर, विलासी, चंचल, तेजस्वी, श्रेष्ठ कार्य करने वाला सत्यवादी, धनी, आयुष्मान्, परोपकारी, माता-पिता और गुरु का भक्त, क्षमावान्, अधिक ख्याल रखने वाला, स्थिरमित्र वाला, उतरोत्तर सुख, राज प्रिय, चतुर, शान्तचित्त, सन्तोषी, सहनशील, बुद्धिमान, सुशील उत्तम वस्त्र और भोजन सम्पन्न, अपने कार्य में दृढ, परन्तु समय समय पर कार्य में उद्विग्नचित्त, मित्र सम्पन्न, कुशल, दृढ शरीर, नेत्र रोगी, शीत एवं अजीर्ण आदि रोग से दुखी, स्त्री आज्ञाकारी एव स्त्री प्रेमी, कामी होता है | उस के लिए चित्रकारी और संगीत प्रेमी तथा उसे अकस्मात् धन प्राप्ति का योग होता है, और जातक सुखमय एव अधिकार पूर्ण जीवन व्यतीत करता है | वह धन, गृह और भूमि आदि की प्राप्ति में समर्थ, बाल्यावस्था में दुःखी तथा मध्य वृद्धावस्था में सुखी होता है | वृष जातक स्थिर और दृढ़ स्वभाव के और काम के प्रति भारी लगने वाले होते है | उनमे शारीरिक और मानसिक सहन शक्ति अधिक होती है |
स्वभाव से हठी भी होते है | बार - बार परिवर्तन पसंद नही करते और शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते है | अकस्मात् कोई परिवर्तन आ जाने पर वे परेशान हो उठते है | वृष जातक अत्यंत मिलनसार होते है | मित्र - बन्धुओं और परिजनों का सत्कार करने में उन्हें विशेष आनन्द कि अनुभूति होती है | वे आरामदायक और विलास का जीवन जीना चाहते है | वृष जातक यथार्थवादी होते है और खोखले सिद्धांतों और व आदर्शों में विश्वास नही रखते है | जातक भले ही अधिक कठोर परिश्रम न कर सके किन्तु फिर भी सबल व स्वस्थ होता है | अपने लक्ष्य के प्रति वह सदा सजग व सक्रिय रहता है | स्थिरता, धैर्य, सहिष्णुता तथा एकाग्रता उसके विशिष्ट गुण होते है | ऐसा जातक थोड़ा हठी, सावधान और धीमी गति कार्य करने वाला होता है | वह तथ्य परक व उदेश्य पूर्ण कार्यों को नियोजित ढंग तथा व्यवहारिक कठिनायों को ध्यान में रख कर, एक समयबद्ध कार्यक्रम के अनुसार करता है उसका दृष्टिकोणनितांत व्यवहारिक तथा विज्ञानं एवं तथ्य परक होता है |
यदि चन्द्रमा के कारण १ वर्ष, १६ वर्ष और ५५ वर्ष वर्ष,मास और दिनउसके लिए अशुभ होता है | प्रथम वर्ष में पीड़ा, तीसरे वर्ष में अग्नि भय, सातवें वर्ष में विसूचिका संक्रामक रोग,नवम वर्ष में सर्प दंश या और व्यथा, दशम वर्ष में रुधिर विकार, बारहवें वर्ष में चोट, सोलहवे वर्ष में सर्प दंश, २५ वर्ष में जलभय, ३० या ३२ वर्ष में कफ प्रकोप एवं पीड़ा होती है | चन्द्र शुभ दृष्ट हो तो किसी मत से पूर्ण आयु हो सकती है | ऐसे जातक के लिए वृष, मिथुन, कन्या, मकर अथवा कुम्भ राशि वाले मनुष्य व्यवहार एवं मित्रता के लिए अच्छे होते है | कर्क एवं सिंह राशि मध्यम होते है | माघ मास, नवमी तिथि, शुक्रवार रोहिणी नक्षत्र अशुभ होते है |
स्त्रीलोलः सुरतोपचारकुशलस्ताम्रेक्ष्णः शास्त्रवित्
दूतः कुश्चितमूर्द्धाजः पटुमतिर्हास्येङङ्गितद्यूतवित् |
चार्वङ्गः प्रियवाक्प्रभक्षण रुचिर्गीतप्रियो नृत्यवित्
क्लीवैर्याति रतिं समुन्नतनसश्चन्द्रे तृतीयर्क्षणे ||
मिथुन राशि गत चन्द्रमा शुभ हो तो जातक प्रकृति और स्त्री प्रेमी, विद्वान्, सुशील, भोगी, दानी, सतधर्म परायण, चतुर, शास्त्र जानने वाला, बुद्धिमान्, कुशाग्रबुद्धि, मानसिक एवं शारीरिक कार्य में तत्पर, विचक्षण, यात्रा प्रिय, कभी कभी दृढ प्रतिज्ञ, सर्व प्रिय प्रेमी दूत कर्म करने वाला, हास्य शील होता है | सुडौल शरीर स्त्री प्रेमी, ऐसा जातक भाग्यवान् होता है है | उसे अकस्मात् धन मिलना सम्भव होता है | और ऐसे जातक को एक से अधिक व्यवसाय होते है अथवा व्यसाय में परिवर्त्तन होता रहता है | प्रायः मिथुन जातक आर्थिक क्षेत्रों में भी दो नावों में पांवो रखते है | वे ऐसे काम करना चाहते है | जिनमें वे जल्दी और बिना अधिक मेहनत किये धन कमा सकें | जैसे सट्टेबाजी, शेयरों में कंपनी प्रोमोटरों के रुप में अथवा व्यापार में नए आविष्कारों या नए विचारों से लाभ उठाना | फलस्वरुप अधिक पैसा कमाने के चक्कर में वे सीमा लांघ बैठेते है और हानि उठाते है | इससे उनके आर्थिक जीवन में भी उतार-चढाव होते है | मिथुन जातक मस्तिष्क प्रधान होता है |
अतः जहाँ तक स्वास्थ्य कि बात है वह शारीर पर मन के प्रभाव से नियंत्रित होता है | जातक को ८, १०, २८, ५२,५४ वर्ष, मास या दिन अशुभ हो सकता है | प्रतिपदा, सप्तमी और द्वादशी तिथि ऐसे जातक के लिए अनिष्टकर होते है | वृष, सिंह, कन्या एवं तुला राशि वालों से जातक का उपकार होता है | कर्क राशि वाले से शत्रुता होती है | ऐसे जातक के लिए रत्नों में पन्ना सुभदायी होता है | बुधवार, हस्त नक्षत्र और मध्यान्ह समय अनिष्टकारी होता है |
आवक्रद्रुतग समुन्नतकटिः स्त्रीनिर्जितः सत्सुहृत्
दैवज्ञः प्रचुरालयः क्षयधनैः संयुज्यते चन्द्रवत् |
हृस्वः पीनगलः समेति च वशं साम्ना सुहृदत्सल
स्तोयोद्यानरतः स्ववेश्मसहिते जातः शशांके नरः ||
कर्क राशि गत चन्द्रमा शुभ हो तो जातक परोपकारी, कुटिल, गुणी, माता-पिता भक्त, शास्त्र कुशल, वस्तुओं के सग्रही, शीघ्रगामी, कुटिल, प्रीति वशीभूत, मिलनसार, प्रेमी और अधिकारी या सम्मानित होता है | ऐसे जातक के बाये अङ्ग में अग्नि भय या मस्तक पीड़ा से व्यथा होती है | वह कद से मझोला सुडौल शरीरधारी रहता है | वह सुन्दर तथा कफ प्रधान साथ ही स्त्री प्रेमी भी होते है | ऐसा जातक अपने पुरुषार्थ द्वारा स्ववंश की मानोन्नति करने में समर्थ होता है | यह जातक अत्यन्त संवेदनशील होते है | दूसरों कि कही जरा सी बात की उन पर इतनी गहरी प्रतिक्रिया हो सकती है | उनकी स्मरण सकती भी बहुत तेज होती है | कर्क जातकों को अपने परिवार, के विशेषकर पत्नी और बच्चे को महत्त्व देते है | यह जातक वैदिक, साहित्य तथा प्राचीन वाङ्ग्मय के अनुशीलन का कार्य भी कर सकते है | किसी व्यवसाय द्वारा उसकी उन्नति होती है | ऐसे जातक को सर्व सम्मति से कार्य करना लाभ प्रद होता है | जातक का धनागमन में उतार- चढ़ाव से युक्त रहता है |
जमींदारी और गृहादि से संपन्न, संगीतप्रेमी, तरल पदार्थ का व्यापारी और गणित एवं ज्योतिष का भी प्रेमी होता है | कर्क जातक अत्यंत संवेदन- शील होते है | उनकी स्मरण शक्ति भी बहुत तेजी से होती है | वे अपनी इच्छा कि स्वामी होते है और ऊपर से किसी प्रकार का अनुशासन थोपा जाना पसन्द नहीं करते है | चिंता करना उनकी नियत होती है और चिंता ही उनकी सबसे बड़ी शत्रु होती है | वे बड़ी- बड़ी योजनाओं का सपना देखने वाले होते है | कर्क जातकों को अचानक प्रायः अप्रत्याशित सूत्रों और विचित्र साधनों से और अजनबियों के संपर्क में आने से आर्थिक लाभ होता है | इस जातक का १२ वर्ष, २१, ३१, ४१, ५१ और ६१ वर्ष, मास और दिन अनिष्टकारी होता है | प्रथम वर्ष में रोगी, तीसरे वर्ष में लिंग से कष्ट, ३१ वर्ष में विष दोष तथा शुभ योग रहने से पूर्ण आयु बनता है | द्वितीय, सप्तमी और द्वादशी तिथि जातक के लिए अशुभ होता है | मिथुन, सिंह और कन्या राशि का मनुष्य उत्तम तथा मेष, वृष, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ तथा मीन राशि के मनुष्य साधारण मित्र होते है | माघ मास, नवमी तित, रोहिणी नक्षत्र और शुक्रवार अनिष्टकर होती है |
तीक्ष्णस्थूलहनुर्विशालवदनः पिङ्गेक्षणीऽल्पात्मजः
स्त्रीद्वेषी प्रियमांसकानननगः कुप्यत्यकार्ये चिरम् |
क्षुत्तृष्णोदरदंतमानसरुजा संपीडितस्त्यागवान्
विक्रान्तः स्थिरघीः सुगर्वितमना मातुर्विधेयोऽर्कमे ||
सिंह राशि गत` चन्द्र शुभ हो तो जातक शालीनता और विशालता का प्रतिक है | उनके विचार भी उच्च होते रहे | शरीर से सुन्दर सुडौलधारी होता है | सिंह जातकों में नेतृत्त्व तथा संगठन का स्वाभाविक गुण होता है | आत्मविश्वास से वे किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते है | इस जातक के शारीर में राजसी आभा होती | उसकी वाणी और चाल में शालीनता पाई जाती है | वे स्पष्टवादी, खुले दिल वाले और महत्त्वाकांक्षी होती है | ये लोग जन्मजात आशावादी होते है | ये धन धान्य से युक्त, सत्यवादी, सुशील, तेजस्वी, कृपण, यात्रा से मजा लेने वाले, पराक्रमी, कला प्रेमी, वाग्मी, क्रोधी, तीक्ष्ण स्वभाव, बुद्धिमान्, मानसिक कष्ट, उच्च पदाधिकारी, स्थिरबुद्धि, अभिमानी, निष्कपट, समाज और परिवार प्रेमी तथा सर्व गुण संपन्न होता है | अपनी बाल्यावस्था में दो स्त्रियों से दुग्धपान करता है | सिंह जातक ऐसे पदों पर सबसे अधिक सफल रहते है जहाँ उन्हें अपनी संगठन तथा प्रसाशनिक योग्यता दिखाने का अवसर मिले | वे दूसरों के अधीन काम करने के बजाय उनका मार्ग दर्शन करना पसन्द करते है | सामाजिक क्षेत्र में भी उन्हें लोकप्रियता चाहिए |
सिंह जातकों में कठोर परिश्रम करने की क्षमता होती, किन्तु उनका काम करने का ढंग प्रायः त्रुटिपूर्ण और सहयोगियों को परेशानी में डालने वाला होता है | ये आर्थिक मामलों में प्रायः भाग्यशाली समझे जाते है | पीठ पर तिलादि ये युक्त रहता है | वातरोग, शिर, दंत, गला एवं उदर रोग से पीड़ित रहता है | उसे परिवार से अनबन रहता है संतान कम होते है, चोर और अग्नि से भय रहता है | इस जातक को ५, २० और ३० वर्ष मास या दिन अशुभ हो सकता है | प्रथम वर्ष में प्रेतादिक बाधा, ५ वर्ष में अग्नि भय, ७ वर्ष में ज्वर विसूचिका रोग, २० वर्ष में विष भय, २१, २८ ३२ वर्ष मे कष्ट, तथा पूर्ण आयु योग बनता है | तृतीय अष्टमी और त्रयोदशी तिथि जातक के लिए अशुभ होता है | रविवार को कार्यारम्भ करने से शुभ होता है मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु और मीन राशि के जातक के लिए अच्छे होते है | तुला, वृश्चिक मकर और कुम्भ राशि वाले शत्रु होते है ग्रहों के परिस्थिति वस | फल्गुन मास, पञ्चमी तिथि, मंगलवार और मध्यान्ह समय जातक के लिए अरिष्टकर होता है | वैसे कुलदेवी और नित्यकर्म करने से सब कुछ ठीक और अच्छा रहता है |
व्रीडामन्थरचारुवीक्षणगतिः स्त्रस्तांशबाहुः सुखी
श्लक्ष्णः सत्यस्तः कलास्तु निपुणः शास्त्रार्थविद्धार्मिकः |
मेधावी सुस्तप्रियः परगृहैर्वित्तैश्च संयुज्यते
कन्यायां परदेशगः प्रियवचाः कन्याप्रजोऽल्पात्मजः ||
कन्या राशि गत चन्द्र शुभ हो तो जातक में आश्चर्यजनक स्मरण शक्ति और प्रखर बुद्धि होती है | यह शान्त, एकान्तप्रिय, व्यवस्थित ढंग से काम करने वाले तथा व्यवहारिक होते है | सेवा भावना से युक्त, विद्वान्, धनी, गजगामी, प्रदेशवासी, कुशल, स्थिर, प्रियभाषी, मधुर भाषी, कोमल स्वर, कुटुम्ब और मित्र को आनन्द देने वाला, धर्मकर्म परायण, बुद्धिमान्, मेधावि, प्रदेशवासी, कफ उदर विकार युक्त होते है | मतलवी या स्वार्थी, स्त्री प्रेमी सर्वगुणसंपन्न होते है | वे पद और कानून का बहुत अधिक सम्मान करते है | उनकी बौद्धिकता मूलतः प्रगतिशील होती है | वे गंम्भीर और विचारक होते है | कन्या बुध के स्वामित्व वाली दूसरी राशि है |
प्रथम राशि मिथुन है | किन्तु दोनों राशियों के जातकों में आकाश-पाताल का अंतर होता है | मिथुन का जातक जहाँ हवा के घोड़े पर सवार रहता है वहा कन्या के जातक के पाँव दृढ़ता से भूमि के साथ जुड़े रहते है | आर्थिक दृष्टि से वे अत्यन्त सावधान और अल्पव्ययी स्वभाव के होते है | मकानों, भूमि आदि में पूजीं लगाना उनके लिए लाभ कारक रहता है | इस जातक के लिए अशुभ वर्ष २, १२, २२, २७, ४२ वर्ष मास दिन होता है | ऐसे जातक के लिए चतुर्थी, नवमी, द्वादशी तथा त्रयोदशी तिथि अशुभ होता है मंगलवार अशुभ, चैत्र मास, त्रयोदशी और रविवार अनिष्टकार होते है |
देवब्राह्मणसाधुपूजनरतः प्राज्ञः शुचिः स्त्रीजितः
प्रांशुश्चोन्नतनासिकः कृशचलद्गात्रोड्टनोऽर्थान्वितः |
हीनाङ्गः क्रयविक्रयेषु कुशलो देवद्विनामा सरुग्
बन्धुनामुपकारकृद्विरुषितस्त्यक्त्स्तु तैः सप्तमे ||
तुला राशि गत चन्द्र शुभ हो तो जातक सर्वमाननीय देव ब्राह्मण और साधुओं, भोगी, धार्मिक, चतुर, बुद्धिमान्, कला- कुशल, राज- प्रिय, ये सभी को इज्जत ज्यादा देते है, तुला सौन्दर्य और सन्तुलन की राशि है | सौन्दर्य की साधना तुला जातक का मूल गुण है | वृष के शुक्र में और तुला के शुक्र में भारी अन्तर है | जहाँ वृष के शुक्र का भौतिक प्रेम वाला पक्ष उभरकर आगे आता है | वहा तुला में उसका कलात्मक पक्ष मुखर होता है | अवसर के अनुरूप वे काफी नीति कुशल हो सकते है | क्योंकि उनमे में समस्या के दोनों पक्षों को देख पाने की योग्यता होती है | ये द्वन्द में रहते है | ये अपने क्षेत्र में सिद्ध हस्त होते है | प्रेम वस्तुओं का संग्रह करने वाला, विद्वान्, धनी, संगीत प्रेमी, अस्थिर स्वभाव वाले होते है |
समाज सेवी, सुडौल शरीर और बलवान् होते है | ऐसे जातक के शिर और उदर एवं चर्म रोग संभव होता है | स्त्रीप्रेमी, संतान सुयोग्य, चतुर, व्यापारी, लाभवान् होते है | तुला राशि गुर्दों, कटि और रीढ़ के निचले भाग का प्रतिनिधित्व करती है | तुला जातकों को अपेंडीसाईटिस तथा कमर में दर्द जैसे रोगों की आशंका रहती है | जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शनि तुला राशि में स्थित हो उन्हें गुर्दे में पथरी बनने का रोग हो सकता है | इस लग्न वाले को ६वर्ष में, १६, २६, ३६, ४६ ५६ वर्ष मास दिन जातक के स्वास्थ्य के लिए अशुभ होता है | प्रथम वर्ष में ज्वर, तृतीय वर्ष में अग्नि भय, ५, १५, २५ वर्ष में पीड़ा होता है | चन्द्र शुभ होने से पूर्ण आयु प्राप्त करते है | चतुर्थी, नवमी एव चतुर्दशी तिथि जातक के लिए अनिष्टकर होता है | मिथुन, कन्या, मकर और कुम्भ राशि वाले जातक के हितकर होते है | कर्क और सिंह से शत्रुता करते है | मेष, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वाले समभाव के होते है | हीरा रत्न शुभ होता है | वैशाख मास, अष्टमी तिथि, शुक्रवार, अश्लेषा नक्षत्र और दिन का प्रथम प्रहार जातक के लिए अनिष्टकारी होते है |
पृथुलनयनवक्षा वृत्तजङ्घोरुजानुर्जनकगुरुवियुक्तः शैशवे व्याधियुक्तः |
नरपतिकुलपूज्यः पिंङ्गलः क्रूरचेष्टो झषकुलिशखगांकश्छन्नपापोऽलिजातः ||
वृश्चिक राशि गत चन्द्र हो तो जातक में ऊर्जा का असीम भण्डार होता है | मंगल की दूसरी राशि मेष के जातकों और वृश्चिक जातकों में एक बड़ा अन्तर यह है कि मेष जातक स्वयं को जन्म जात नेता समझते है और किसी कि अधीनता में काम करने में वे कठिनाई अनुभव करते है | उनमे स्थिरता का भी प्रायः अभाव होता है और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग या अपव्यय या प्रवृति पाई जाती है | साथ ही वृश्चिक जातकों की प्रवृति रचनात्मक कार्यों की ओर अधिक होती है | वृश्चिक जातकों में दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने की असाधारण शक्ति होती है | वे अपनी भावना के वशीभूत होते है केवल प्रेम सम्बन्धो में ही नहीं, अन्य सभी कार्यों में भी | यदि उन्हें उच्च भावनात्मक स्तर पर रहने अवसर न मिले तो वे निराश हो जाते है और अनेक मनोवैज्ञानिक व्याधियां उन्हें घेर लेती है | वे अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए कोई भी क्षेत्र चुन सकते है सामाजिक और राजनीतिक अन्याय का, वित्तीय शोषण का, अपर्याप्त आवास व्यवस्था का | अनेक अप्रत्यासित घटनाओं का सही पक्ष में जाकड़ खड़े हो जाते है | इन्हें छोटे-मोटे या महत्त्वहीन कामों से उन्हें संतोष नही होता है |
वृश्चिक जातकों को प्रायः अन्वेषक कि संज्ञा दी जाती है | वे हर समस्या कि जड़ तक जाने पहुचने का प्रयास करते है | अपने मौलिक विचारों के कारण वे व्यापार, राजनीति आदि में आमतौर पर सफल रहते है | व्यक्ति क्रोधी, कलह प्रिय, प्रतिशोधात्मक जीवन जीने बाला, विश्वासघाती, मित्र द्रोही, संतान हीन या संतान संस्कार हीन, दूसरों के कार्य में विघ्न कर्त्ता, पापी, क्रूर, पराक्रमी, चतुर, वह भृत्यों से सेवित, पिता या गुरु जनों से रहित, राजानुगृहीत, श्रृंगार प्रेमी, मादक पदार्थ में रूचि रखने वाला, स्वावलम्बी एवं परिश्रमी होता है | ऐसे जातक की छाती और नेत्र बड़े होते है, उसकी मृत्यु किसी दीर्घका लीन रोग से होती है | ऐसे जातक की पत्नी पतिव्रता और जातक स्त्री प्रेमी होता है | वह एक पुत्र और एक कन्या से सुखी होता है |
जातकों को दों स्त्रियाँ एवं चार भाई भी होते है | व्यापार ऐसे जातक के लिए लाभदायी होता है | इस जातक २ वर्ष, १२, २२, ३२ और ५२ वर्ष मास दिन कष्टदायी होता है | प्रथम वर्ष में ज्वर, तृतीय वर्ष में अग्नि भय, ५ से १५ वर्ष तक ज्वर या अन्य पीड़ा, पूर्ण आयु का योग बनता है | प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी तिथि ऐसे जातक के लिए अशुभ है | मेष, कर्क, सिंह, धनु और मीन राशिवाले जातक के लिए अच्छे होते है | इसी प्रकार मिथुन और कन्या राशि वाले शत्रुता करने वाले होते ई | ज्येष्ठ मास, दशमी तिथि, बुधवार, हस्त नक्षत्र एवं अर्धरात्रि जातक के लिए अनिष्टकर होता है |
व्यादीर्घास्यशिरोधरः पित्रुघनस्त्यागी कविर्वीर्यवान्
वक्ता स्थूलरदश्रवोऽघरनसः कर्मोद्यतः शील्पवित् ||
कुब्जांसः कुनखीः समांसलभुजः प्रगल्भ्यवान् धर्मविद्
वन्धुद्विट् न बलात्समेति च वशं साम्नैकसाध्योऽश्वजः ||
धनु राशि गत चन्द्र शुभ हो तो जातक सुन्दर सुडौल शरीर धारी, विद्वान्, धार्मिक, राज सम्मानित, जनप्रिय, सभा में व्याख्यान देने वाला, श्रेष्ठ, पवित्र, काव्य कुशल, ढीठ, कुलदीपक, दानी, भाग्यवान्, साहसी, सच्चा मित्र, निष्कपट, विनीत, दयावान्, स्पष्ट वक्ता, कलेश सहन करने वाला, शांत स्वभाव, तपस्वी, निर्मल भाषी, मितव्ययी, धनी, उच्च पद, प्रीति से वशीभूत होने वाला होता है | ऐसे जातक सुडौल शरीर धारी, ग्रीवा, मुख और कान बड़े ओष्ठ नाक और दान्ते मोटे होती है | धनु जातक अपने लक्ष्य की ओर सीधे, लोकप्रिय,बिना रुके बढ़ने का प्रयास करता है | उसके आगे बढने कि तीन दिशाए हो सकती है भौतिक वातावरण, मानसिक रुचियाँ तथा ज्ञान और आध्यात्मिक विकास | इनमे से वे कौन सी दिशा चुनेगे, यह कुण्डली में अन्य ग्रहों कि स्थिति पर निर्भर होती है | धनु जातकों में तीव्र बुद्धि होती है | उनका व्यक्तित्व प्रायः रंगीन तथा उत्साही होता है | ये मूलरूप से जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखते है | धनु जातकों का व्यवहार आमतौर से विनम्र रहता है |
धनु जातक विपरीत लिंग से मित्रता करना अधिक पसन्द करते है | कला जानने और प्रेमी, कई प्रकार के व्यवसायों में हाथ डालने वाला होता है | नैकरी में स्थिर जीवन, बाल्यावस्था में सुखी, प्रथम वर्ष से १३ वर्ष तक पीड़ा वैसे पूर्ण आयु होता है | तृतीय अष्टमी और त्रयोदशी तिथि जातक के लिए अनिष्टकर होता है | सोमवार अशुभ होता गुरूवार शुभ होता है | मेष, कर्क, सिंह, और वृश्चिक राशि वाले मनुष्य जातक के लिए अच्छे होते है | परन्तु वृष, मिथुन, कन्या एवं तुला राशि वाले मनुष्य शत्रुता करने वाले होते है | आषाढ़ मास, पञ्चम तिथि, हस्त नक्षत्र एवं रात्री का समय अरिष्ट कर होता है |
नित्यं लालयति स्वदारतनयान् धर्मध्वजोऽघः कृशः
स्वक्षः क्षामकटिर्गृहीतवचनः सौभाग्ययुक्तोऽलसः |
शितालुर्मनुजोऽटनश्च मकरे सत्त्वाधिकः काव्यकृत्
लुब्धोऽगम्यजराङ्गनासु निरतः संत्यक्तलक्षोऽघृणः ||
मकर राशि गत चन्द्र शुभ हो तो जातक धीर, विद्वान्, क्रोधी, एक ही बार कहने वाला अर्थात् श्रुतिधर, भाग्यवान्, काव्यकुशल,अपने परिवार में मस्त रहने वाला, दयालु, दृढ़ प्रतिज्ञ, लोभी, प्रेमी, संगीत प्रेमी, सुडौल शारीर, दम्भी, तेजस्वी, प्रभाव शाली अपने विषय में, साथ ही यदि कुण्डली में और कोई अच्छे हों तो मकर राशि वाले जातक कई ख्याति होती है | मकर राशि काल पुरुष की कुण्डली में शिरोबिन्दु पर स्थित है | फलस्वरूप यह मानव की उच्चत्तम आकांक्षाओं की प्रतिक है | मकर जातकों का लक्ष्य सदा आगे बढना और ऊपर चढ़ना रहता है | उनकी यह प्रवृति उन्हें निर्मम और स्वार्थी बना देता है | मकर जातकों के लिए निजी प्रतिष्ठा, सामाजिक स्थिति और पद का भारी महत्त्व होता है | वे सत्तर्क और परम्परावादी होते है तथा मितव्ययिता, आत्मानुशासन, उत्तरदायित्व, सम्मान और गम्भीरता पर आवश्यकता से अधिक बल देते है | वे हर काम को पूरी सुचारुता से करने में विश्वास करते है |
वे अपना लक्ष्य निर्धारित करने में कुछ समय अवश्य लेते है | वे बुद्धि पूजक होते है और केवल तर्क सम्मत बात को ही स्वीकार करते है | वे हर काम में अगुआ बनना पसन्द करते है और किसी प्रकार के बन्धन या अंकुश पसन्द नही करते | ऐसा जातक अपने व्यवहार से शत्रु भी उत्पन्न करता है और बहुत नुकसान भी होता है | वैवाहिक जीवन उत्तम, उच्च पद युक्त और सुडौल शरीर धारी होते है | इसका ३ वर्ष, १३ और २३ वर्ष मास दिन जातक के लिए अनिष्टकर होता है | ७ वर्ष से ९ वर्ष तक चोट या अन्य पीड़ा रहता है और पूर्ण आयु का योग बनता है | चतुर्थी, नवमी और पूर्णमासी तिथि जातक के लिए अशुभ होता है | शनिवार शुभ, वृष, मिथुन, कन्या तुला और कुम्भ राशि वाले जातक मित्रता करते है | मेष, कर्क, सिंह तथा वृश्चिक राशि वाले जातक शत्रुता करते है |
करमगलः शिरालुः खरलोमशदिर्घतनुः पृथुचरणोरुपृष्ठजघनास्यकटिर्जरठः |
परवनितार्थ पापनिरतः क्षयवृद्धियुतःप्रियकुसुमानुलेपन स्रुहृद्धट्जोऽध्वसहः ||
कुम्भ राशि गत चन्द्र शुभ हो तो जातक मानवीय गुणों से भरपूर और अपने उदेश्य के प्रति पूर्ण ईमानदार तथा प्रतिबद्ध होते है | वे अतिवादी नही होते है | उनका ज्ञान व्यापक और मन धैर्य तथा करुना से ओतप्रोत होता है | मैत्री उसकी प्रवृति होती है | वह प्रायः दीर्घकालीन होती है | साथ ही उसके स्वभाव में एक प्रकार की विरक्ति भी पाई जाती है | कुम्भ जातक दृढ़ इच्छाशक्ति वाले और हर बात में निश्चित मत रखने वाले होते है | वे दूसरों की बातों में सहज ही नही आते और अपने विचारों पर दृढ़ रहते है | वे संयम और गम्भीरता से समस्याओं, तनावों तथा प्रतिकूल परिस्तिथियों का सामना करते है | वे सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों को अपने अतीन्द्रिय ज्ञान से ही पहचानें वाला तथा उसकी प्रवृतियां प्रायः सामजिक और जन-कल्याण के कार्यों में लगाये रखती है परन्तु जातकों में जब कुप्रवृतियों का विकास होता है तो वे अपने विचारों के जंगल में इस तरह फस जाते है कि अनिर्णय के फल स्वरुप कुछ कर नहीं पाते | उनमे कायरता भी घर कर लेती है | अतः जीवन के प्रायः किसी भी क्षेत्र में उनसे रचनात्मक भूमिका निभाने कि आशा की जा सकती है |
वे आर्थिक मामलों में सफल रहते है | दयालुदानी, धर्मकार्य, प्रिय भाषी, विच्छ्ण बुद्धि, मित्र प्रिय, आलसी, पाप कर्म करने में हिचक नही, प्रशन्न चित, विजयी, स्त्री प्रेमी, यात्रा प्रिय, संगीत कलाप्रिय वाले होते है | ऐसा जातक दुर्बल, गला लम्बा और शरीर सुडौल धारी वाले होते है | वैवाहिक जीवन उत्तम परन्तु मानसिक सुख थोड़ा कम मिलता है | उसे शिक्षा, कला या राजनितिक कामों में लगाव रखता है | साथ किसी मण्डली का सदस्य होता है | कुम्भ जातक किसी भी परिस्थिति के अनुकूल अपने को ढ़ा ल सकते है | वे मानव प्रकृति के असाधारण पारखी होते है | रक्त संचार धीमा होने पर हाथ-पाँव ठंढे रह जाते है | कुम्भ जातकों के नसों, अमाशय जिगर या पिताशय के रोगों से भी ग्रस्त होने कि सम्भावना रहती है | ५ वर्ष, १५, २५, ६५,और ४५ वर्ष मास दिन जातक के लिए अशुभ होता है | प्रथम वर्ष में पीड़ा, ५ वर्ष में अग्नि भय, १२ वर्ष में सर्प, जल से भय, २८ वर्ष में चोरी हो सकता है | उसके बाद जीवन उत्तम चलेगा | साथ ही पूर्ण आयु का योग बनता है | तृतीय, अष्टमी और त्रयोदशी तिथि जातक के लिए अनिष्ट होता है | शनिवार शुभदायी होता है | वृष, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि वाले मित्रता तथा मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि वाले शत्रुता करते है | आश्विन मास, द्वितीय तिथि, गुरूवार, सन्ध्या समय एवं कृत्तिका नक्षत्र अनिष्ट होते है |
जलपरधनभोक्ता दास्वासोऽनुरक्तः समरुचिर शरीरस्तुङ्गनासो बृहत्कः |
अभिभवति सपत्नान्स्त्रीजितश्चारु दृष्टिःद्युतिनिधिधन भोगी पंडितश्चान्त्यराशौ ||
मीन राशि गत चन्द्र शुभ हो तो जातक सुडौल शरीरधारी, जल से लाभ, धनी, मान्य, मातृ पितृ भक्त, उदार, व्यवहार कुशल, चतुर, निष्कपट, तेजस्वी, विद्वान्, वाचा, लेखक और पद्य एवं कला संगीत प्रेमी, वह सहज ही में निरुत्साह एवं उदास हो जाता है | मीन जातक अत्यन्त संवेदनशील होते है | मीन जातक अत्यन्त भावुक होते है और व्यक्तियों तथा परिस्थितियों के प्रति उनकी प्रतिक्रिया में भावना कि महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है | अपने अतीन्द्रिय ज्ञान से वे अकारण किसी व्यक्ति से प्रेम या घृणा करने लग सकते है | उनकी कल्पना शक्ति काफी विकसित होती है | वे मूलतः आदर्शवादी, द्विस्वभाव के होते है | मीन जातकों में गुप्त विद्याओं के प्रति आकर्षण मिलता है |आर्थिक मामलों में मीन जातकोंको बार-बार उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ सकता है इनके स्वभाव के कारण घरेलू जीवन पर भी खराब असर पड़ता है |
दिल पर जरा- सी चोट पहुचते ही वे तिलमिला उठते है | ऐसी स्थिति में प्रकटतः वे कुछ भी नहीं कहते और कई दिन मौन व्रत धारण कर मन ही मन कुछ सोचते रहते है | कई विवाह योग बन सकता या स्त्री प्रेमी, मादक द्रव्य में उसका झुकाव हो सकता है | ऐसा जातक जल से उत्पन्न पदार्थ, पराये धन और गड़े हुये धन का भोग करने वाला होती है | इसका ५ वर्ष, १०, १९, २७, ५३ वर्ष मास दिन अनिष्टकर होता है | ५ वर्ष में जल भय, ८ वर्ष में ज्वर पीड़ा, २२ वर्ष में पीड़ा संभव होता है | पूर्ण आयु का योग बनता है | पञ्चमीं, दशमी और पूर्णिमा तिथि अनिष्टकारी होते है | मेष, कर्क, सिंह और धनु राशि वाले जातक मित्र होते है | वृष, मिथुन, कन्या और तुला राशि वाले जातक से शत्रुता हो जाता है | बुध वार, आश्विन मास, द्वितीय तिथि, कृतिका नक्षत्र एवं सायंकाल जातक के लिए अनिष्टकर होता है |
यह स्पष्ट कर दें | राशि के अन्त में जो वर्ष,मास, दिन, पक्ष, तिथि, वार ये सभी जिस दिन एक साथ हो जाय उस दिन मृत्यु काल माना जाएगा | यवन आचार्य मत है परन्तु इस पर कुछ संदेह है - यथा इसमें धनु राशि की मृत्यु के समय में जो योग पाया जाता है वह असम्भव प्रतीत होता है | आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में पञ्चमीं को हस्त नक्षत्र का होना असंभव है | ज्येष्ठ के पूर्णिमा के दिन ज्येष्ठा नक्षत्र का होना आवश्यकता है | इस कारण आषाढ़ कृष्ण पञ्चमीं कई धनिष्ठा या आगे पीछे नक्षत्र ही होना आवश्यकता है | इस कारण फल पर असर मृत्यु तुल्य कष्ट बन सकता है | इति समाप्त
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