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Kundli Se Mahatvapoorna Vichaar - कुंडली से महत्वपूर्ण विचार | Horoscope And Astrology

Kundli Se Mahatvapoorna Vichaar - कुंडली से महत्वपूर्ण विचार Horoscope And Astrology   रोगीरिव्यसनक्षतानि वसुधापुत्रारितश्चिन्तये- दुक्तं रोगकरं तदेव रिपुगे जीवे जितारिभवेत् I  षण्ढोऽरीशबुधौ विधुन्तुदयुतौ लग्नेशसम्बन्धिनौ  लिङ्गस्यामयकृद् व्रणेन रुधिरः षष्ठे सलग्नाधिपः II  कुण्डली के षष्ठ भाव से रोग विचार किया जाता है I इससे रोग, शत्रु, व्यसन और क्षत (चोट) आदि रोग का कारक ग्रह षष्ठ भाव, शनि, मंगल और राहु होते है I ये रोग देने वाले होते है I उसका स्वामी जब लग्नेश से सम्बन्ध बनाता है तो शरीर से संबंधित कष्ट मिलता है I षष्ठ भाव में यदि गुरु स्थित हों तो जातक शत्रुञ्जयी होता है I यदि षष्ठ भाव का स्वामी बुध और राहु के साथ युत हों और लग्नेश का सम्बन्ध हों तो नपुंसक होता है I वैसे कष्ट कई प्रकार के होते है और सभी कष्ट बड़ा -बड़ होता है यथा मानसिक कष्ट, आर्थिक कष्ट, सामाजिक कष्ट, भौतिक कष्ट, पारिवारिक कष्ट, नैतिक कष्ट, व्यवहारिक कष्ट, सांसारिक कष्ट, धार्मिक कष्ट और बहुत सारे कष्ट होते है I ये पाँच बातें भाव को कम-जोर करते है I जितनी अधिक पापी ग्रह स्थिति होगी उतना ही उस भाव ...

धर्म और व्यक्ति की जीवन धारा - Dharm Aur Vyakti Ki Jeevan Dhaara By Astrologer Dr. S. N. Jha

धर्म और व्यक्ति की जीवन धारा  Dharm Aur Vyakti Ki jeevan Dhaara By Astrologer Dr. S. N. Jha आपका चेहरा या शक्ल जिस कुण्डली से मिले उस कुंडली से आप फलित प्राप्त करेगें | चाहे लग्न कुण्डली, चन्द्र कुण्डली या सूर्य कुंडली से ये सारे गुण जिस कुण्डली से प्राप्त करेगें | वैसे सभी दैवज्ञ लग्न कुण्डली से ही बता देते है| चाहे फलित मिले या न मिले, दो ही बात हो सकता है चाहे उतना षोडशः वर्ग का ज्ञान नहीं है या उतना मेहनत नही करना चाहते है I       धर्मेण हन्यते व्याधिः धर्मेण हन्यते ग्रहः I धर्मेण हन्यते शत्रुर्यतोधर्मस्ततो जयः II धर्म क्या है ? | Dharm Kya Hai ?  हमें इसका विवेचन तो यहाँ करना नहीं है केवल तात्पर्य समझकर अपने लक्ष्य की पूर्ति करनी है इसलिए लिखते है कि धार्मिक कृत्य करते रहने से शारीरिक, मानसिक और आध्या त्मिक तीनों प्रकार के कष्ट दूर हो जाते है| अर्थात् अनेक प्रकार की आधि-व्याधियों का नाश हो जाता है I धार्मिक कर्म, ग्रहों के दुष्परि णामों को समाप्त करके शुभफल प्रदान करते है I  शुभ ग्रहों के शुभ फलों को बढ़ोतरी करके शुभ फल प्रदान करता है, और यही धा...

Janiye Jyotish Ke Baare Mein Ye Vishesh Gyaan - ज्योतिष का विशेष ज्ञान By Astrologer Dr. S. N. Jha

Janiye Jyotish Ke Baare Mein Ye Vishesh Gyaan ज्योतिष का विशेष ज्ञान By Astrologer Dr. S. N. Jha यह शरीर इन्द्रिय , सत्व (मन) एवं आत्मा का एक संयोग है। इन तीनो जटिल कारको के स्थूल रूप को ही शरीर कहते है। तथा इनके अदृष्य या सूक्ष्म रूप को आयु कहते है। आयु या दूसरे शब्दों में जीवन के इस शास्त्र को आयुर्वेद या “आयुषो वेदः” कहा गया है। तो जब आयु की कोई सीमा नहीं तो फिर इस शास्त्र की सीमा कैसी ?   “न ह्यस्ति सुतरामायुर्वेदस्य पारम। तस्मादप्रमत्तः अभियोगे अस्मिन गच्छेत अमित्रस्यापी वचः यशस्यं आयुष्ये श्रोतव्यमनुविधाताव्यम च।”       जिन प्राकृतक दृष्यादृष्य कारको तथा पूर्वापर कृत्यों एवं प्रभावों के कारण इस शरीर को आयु के साथ संचलन , विचलन या विराम (मृत्यु) प्राप्त होती है , उसको जिस प्रकाश या ज्योति में दृष्य या जानने पहचानने योग्य ग्रहण किया जा सकता है , उस शास्त्र को ज्योति शास्त्र या “ ज्योतिष ” कहते है।    जन्मकुण्डली व्यक्ति के जन्म के समय ब्रह्माण्ड में स्थित ग्रह नक्षत्रों का मानचित्र होती है , जिसका अध्ययन कर जन्म के समय ही यह बताया जा सकता...