हस्त-ज्योतिष - PALMISTRY सामुद्रिकरहस्यम् ज्योतिष विद्या वह दिव्य विज्ञान है जो भूत, वर्त्तमान और भविष्य तीनों कालों को जानने की कला सिखलाता है | उस में से एक “ हस्त-रेखा ” या “ सामुद्रिकरहस्यम् ” भी है मनुष्य में भविष्य जानने की इच्छा होती है I जातक की भविष्य देखेने की भिन्न भिन्न विधायें भिन्न भिन्न देश , काल व सस्कृति के कारण भिन्न भिन्न रूप में परिष्कृत हुई ,परन्तु आज भी मानव सस्कृति-सभ्यता के सामने अनुत्तरित खड़ा है | वह यह है कि भविष्य को जान लेने के बाद क्या भविष्य बदला जा सकता है तो मैं यह कह सकता हूं कि:- भगवान् ! “आत्मा”- को जिस कुल ,जाति और धर्म में भेजते है उसका निर्धारण “गर्भधारण” के समय जो निर्धारित (कुंडली या हस्त में) करते है वैसे ही “शीर्षोदय” के बाद जीवन भर शुभाशुभ भोगना पड़ता है :--- “ आयुः कर्मं च वितं च विद्यानिधन मेव I पंञ्चैतान्यायं सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः II अर्थात् -- इसका अर्थ है कि आपको वर्त्तमान (तात्कालिक) समय कुण्डली या हाथ में सब कुछ निर्धारित कर दिया गया हैं | उसके माध्यम से सारे कार्यक्रम मिल गया है | इस कुंडली य...
मैं सुनील नाथ झा, एक ज्योतिषी, अंकशास्त्री, हस्तरेखा विशेषज्ञ, वास्तुकार और व्याख्याता हूं। मैं 1998 से ज्योतिष, अंक ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान, वास्तुकला की शिक्षा और अभ्यास कर रहा हूं | मैंने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान तथा लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य | मैंने वास्तुकला और ज्योतिष नाम से संबंधित दो पुस्तकें लिखी हैं -जिनके नाम "वास्तुरहस्यम्" और " ज्योतिषतत्त्वविमर्श" हैं | मैंने दो पुस्तकों का संपादन किया है - "संस्कृत व्याकर-सारः" और "ललितासहस्रनाम" |