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पुरुषार्थ / भाग्य - ज्योतिश्चक्रे तु लोकस्य सर्वस्योक्तं शुभाशुभम् I ज्योतिर्ज्ञानं तु यो वेद स याति परमां गतिम् II

पुरुषार्थ / भाग्य   ज्योतिश्चक्रे तु लोकस्य सर्वस्योक्तं शुभाशुभम् I  ज्योतिर्ज्ञानं  तु  यो  वेद स याति परमां गतिम् II ज्योतिष चक्र सम्पूर्ण जगत में शुभाशुभ को व्यक्त करने वाला है अतः जो ज्योतिषशास्त्र का ज्ञाता एक दो ही होते है वह परम कल्याण को प्राप्त होता है I ज्योतिष शास्त्र में प्रधान ग्रह सूर्य और चन्द्र है I सूर्य को पुरुष और चन्द्रमा को स्त्री अर्थात् पुरुष और प्रकृति के रुप में इन ग्रहों को माना है I पाँच तत्त्व रुप भौम , बुध , गुरु , शुक्र और शनि है I इन प्रकृति , पुरुष और तत्त्वों के सम्बन्ध से ही सारा ज्योतिषश्चक्र भ्रमण करता है I    शुभक्षण क्रियारम्भजनिताः पूर्व सम्भवाः I     सम्पदः सर्वलोकानां ज्योतिस्तत्र प्रयोजनम् II  पूर्व जन्म में उपार्जित पुरुषार्थ का नाम भाग्य है I पूर्व जन्मार्जित पुरुषार्थ और तात्कालिक पुरुषार्थ मिलकर महान फल को प्रदान करता है I  पुरुषरथर्यते पुरुषार्थः यथा :- पूर्वजन्मजनितं पुराविदः कर्म दैवमिति सम्प्रचक्षते I    उद्यमेन तदुपार्जित सदा वांछितं फलति नैव केवलम् II...

Kya Hota Hai Maarak Aur Maarkesh? मारक और मारकेश (द्वितीय-सप्तम और तृतीय-अष्टम) By Astrologer Dr. S. N. Jha

Kya Hota Hai Maarak Aur Maarkesh?   मारक और मारकेश (द्वितीय-सप्तम और तृतीय-अष्टम)   किसी भी जातक के कुंडली में द्वितीयेश, तृतीयेश, सप्तमेश या अष्टमेश की दशा को आप मारकेश नही बोल सकते है | मारकेश तभी बोलेगे जब वह लग्नेश का शत्रु हो | वैसे कष्ट का समय जरुर माना जाता है | लग्न  ( शरीर )  ग्रह का जो शत्रु ग्रह हो वो ग्रह द्वितीयेश, तृतीयेश, सप्तमेश या अष्टमेश हो चाहे या अन्य भावेश हो उसका दशा अन्तर दशा को मारकेश (मृत्यु काल) कहते है चाहे द्वितीयेश, तृतीयेश, सप्तमेश या अष्टमेश ही हो या अन्य भावेश हो | परन्तु आज-कल पण्डित गण द्वितीयेश, तृतीयेश, सप्तमेश या अष्टमेश दशा अन्तर दशा को ही केवल मारकेश मानते है चाहे लग्नेश का शत्रु हो या न हो | अगर इन द्वितीयेश, तृतीयेश, सप्तमेश या अष्टमेश भावों का जिन से शत्रुता होती है जातक को उस भाव से सम्बंधित कष्ट प्राप्त होता है | यथा -एकादश भाव से शत्रुता इन भावों का हो तो आर्थिक नुकसान होगा, या दशम भाव से होने से नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता | जन्म कुंडली में मारकेश शब्द मृत्यु तुल्य कष्ट शरीर से केवल होता है | परन्तु मानसिक, आर्थिक, भ...