ज्योतिष और द्वादश भाव फलित - Jyotish Aur Dwadash Bhav Phalit द्वादश भावों में अन्योन्य सम्बन्ध ज्योतिष विद्या अत्यधिक उपादेय विद्या है | ग्रहदशा के दुष्ट फल को भोगने वाले निराश व्यक्ति जातक को आशान्वित भविष्य की घोषणा से अनेक प्रकार के उपद्रवों को सहने के लिए संजीवनी शक्ति प्रदान करता है और सुखी व्यक्ति जातक के भावी जीवन के उत्थान-पतन की घोषणा से वह उसके भविष्य के प्रति निश्चित मार्ग दर्शन कराता है | मानव जीवाणु गर्भस्थ होगा उस समय के सौर मण्डल की छाप से जो जन्म कुंडली बनेगी तदनुसार मनुष्य जातक रुपी जीव किस समय गर्भ से बहिर्भुत होगा | वही सही समय को गर्भागत समय की कुण्डली से ही जातक का भविष्य का शुभाशुभ विचार होना चाहिए;- गर्भाधानं पुसवनं सीमन्तोन्नयनं जातकर्म नामकरणाान्ना प्राशनचौलो पनयनानि चत्वारि वेदव्रतानि इत्यादि | उत्रार्ध पुत्रोत्पत्यर्थमवश्यं संङ्गः कार्यः | इससे स्पष्ट होता है की संस्कृति और संस्कार से युक्त योग्य पुत्र उत्पन्न करना जीवन का परम उद्देश्य होना चाहिए | ज्योतिष शास्त्र की अध्ययन सामग्री ग्रह सञ्चालन और उसका सचराचर प्रकृति पर पड़ने वाले ...
मैं सुनील नाथ झा, एक ज्योतिषी, अंकशास्त्री, हस्तरेखा विशेषज्ञ, वास्तुकार और व्याख्याता हूं। मैं 1998 से ज्योतिष, अंक ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान, वास्तुकला की शिक्षा और अभ्यास कर रहा हूं | मैंने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान तथा लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य | मैंने वास्तुकला और ज्योतिष नाम से संबंधित दो पुस्तकें लिखी हैं -जिनके नाम "वास्तुरहस्यम्" और " ज्योतिषतत्त्वविमर्श" हैं | मैंने दो पुस्तकों का संपादन किया है - "संस्कृत व्याकर-सारः" और "ललितासहस्रनाम" |