Aapka Nakshatra Kya hai - आपका नक्षत्र क्या है? Astrologer Dr S. N. Jha नक्षरति गच्छतीति नक्षत्रम् अर्थात् जिसमें गति न हो वह नक्षत्र कहलाता है| हमारे महर्षियों ने आकाश मण्डल के तारों को पूर्व-पश्चिम गति से सत्ताईस भागों में विभक्त किया है तथा प्रति भाग का नाम नक्षत्र रक्खा है | चन्द्रमा एक नक्षत्र में २३/५६ का होता है | परन्तु सूर्य एक नक्षत्र में १४ दिन तक रहते है | चन्द्रनक्षत्र इन सताईस नक्षत्रों कि एक माला पृथ्वी के चारों ओर पूर्वापर पड़ी हुई है | कई तारों के समुदाय को ही नक्षत्र कहता है | उन तारों को एक दुसरे से युक्तिपूर्वक रेखा द्वारा मिला देने से कहीं अश्व, कहीं शिर, कहीं गाड़ी आदि का चित्र बन जाता है | तात्पर्य यह है कि इस भूमंडल के चारों ओर ही तारागण है जिन्हें महर्षियों ने सत्ताईस नक्षत्रों के नाम से पुकारा है उसके द्वारा आकाश मण्डल में ग्रहों कि स्थिति का ठीक-ठीक बोध होता है | यथा- सड़क पर किलो मीटर दुरी कि पता चलता है उसी तरह गणितज्ञों कि यह कहना सरल होगा कि अमुक ग्रह, अमुक समय में अमुक नक्षत्र में था या है | प्रत्येक नक्षत्र भागों में विभाजित है और उनमें हर एक को चरण कहते ह...
मैं सुनील नाथ झा, एक ज्योतिषी, अंकशास्त्री, हस्तरेखा विशेषज्ञ, वास्तुकार और व्याख्याता हूं। मैं 1998 से ज्योतिष, अंक ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान, वास्तुकला की शिक्षा और अभ्यास कर रहा हूं | मैंने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान तथा लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य | मैंने वास्तुकला और ज्योतिष नाम से संबंधित दो पुस्तकें लिखी हैं -जिनके नाम "वास्तुरहस्यम्" और " ज्योतिषतत्त्वविमर्श" हैं | मैंने दो पुस्तकों का संपादन किया है - "संस्कृत व्याकर-सारः" और "ललितासहस्रनाम" |