Janiye Jyotish Ke Baare Mein Ye Vishesh Gyaan ज्योतिष का विशेष ज्ञान By Astrologer Dr. S. N. Jha यह शरीर इन्द्रिय , सत्व (मन) एवं आत्मा का एक संयोग है। इन तीनो जटिल कारको के स्थूल रूप को ही शरीर कहते है। तथा इनके अदृष्य या सूक्ष्म रूप को आयु कहते है। आयु या दूसरे शब्दों में जीवन के इस शास्त्र को आयुर्वेद या “आयुषो वेदः” कहा गया है। तो जब आयु की कोई सीमा नहीं तो फिर इस शास्त्र की सीमा कैसी ? “न ह्यस्ति सुतरामायुर्वेदस्य पारम। तस्मादप्रमत्तः अभियोगे अस्मिन गच्छेत अमित्रस्यापी वचः यशस्यं आयुष्ये श्रोतव्यमनुविधाताव्यम च।” जिन प्राकृतक दृष्यादृष्य कारको तथा पूर्वापर कृत्यों एवं प्रभावों के कारण इस शरीर को आयु के साथ संचलन , विचलन या विराम (मृत्यु) प्राप्त होती है , उसको जिस प्रकाश या ज्योति में दृष्य या जानने पहचानने योग्य ग्रहण किया जा सकता है , उस शास्त्र को ज्योति शास्त्र या “ ज्योतिष ” कहते है। जन्मकुण्डली व्यक्ति के जन्म के समय ब्रह्माण्ड में स्थित ग्रह नक्षत्रों का मानचित्र होती है , जिसका अध्ययन कर जन्म के समय ही यह बताया जा सकता...
मैं सुनील नाथ झा, एक ज्योतिषी, अंकशास्त्री, हस्तरेखा विशेषज्ञ, वास्तुकार और व्याख्याता हूं। मैं 1998 से ज्योतिष, अंक ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान, वास्तुकला की शिक्षा और अभ्यास कर रहा हूं | मैंने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान तथा लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य | मैंने वास्तुकला और ज्योतिष नाम से संबंधित दो पुस्तकें लिखी हैं -जिनके नाम "वास्तुरहस्यम्" और " ज्योतिषतत्त्वविमर्श" हैं | मैंने दो पुस्तकों का संपादन किया है - "संस्कृत व्याकर-सारः" और "ललितासहस्रनाम" |