वास्तुरहस्यम् - VASTURAHASYAM
ARCHITECTURE & IMPORTANT POINTS🙏
*ↈ वास्तुशास्त्र के
कुछ महत्वपूर्ण विचारणीय बिन्दु :---ↈ
वास्तुशास्त्र के अनुसार गृहनिर्माण के समय घर का सीमा चौकोर में रहने से शकुन महसूस होता है। सर्वप्रथम मन्दिर का स्थान ईशान कोण में या ब्रह्म (बीच) स्थान में, उसके बाद माता-पिता के लिए,उसके बाद रसोई घर, तब अपना कमरा होने से सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
(१) आप के घर का पानी का बहाव उत्तर दिशा से होनी चाहिये । आपके घर का जो भी पानी निकले उत्तर दिशा से ही निकले।तभी बरकतहोगा।
(२) आपके भोजन या बैठने का कमरा का दरबाजा उत्तर या पूर्व में होना चाहिये।
(३) आप जब भी दक्षिण मुखी घर या जमीन ले तो बहार के बरामदे पर पश्चिम मुखी दरबाजा बिलकुल नही रखना है नही तो आपके वंश पर असर पड़ेगा ।
(४) खिड़की में अर्च या परदा जरुर रखे,मुख्य दरवाजे के उपर भी परदा दे। उससे आप की मान सम्मान,यश बनी रहती है।
(५) आप घर बनाने के लिए जिस भूखण्ड का चयन करे तब आस पास के रास्ते भी देखे भूखंड के उत्तर, पूर्व , पूर्वउत्तर या ईशान में रास्ते हो तो मकान के लिए अच्छा समझना चाहिये।
(६) आप अपने घर में पैंखाना,सीढ़ी,पानी टंकी,स्वीमिंग पूल आदि भूखंड के ईशान कोण में न हो ।
(७) आप गृह निर्माण का कार्य नैऋत्य से प्रारम्भ करे। पश्चिम या दक्षिण में तथा उत्तर एवं पूर्व में खुली जगह अधिक होनी चाहिये।
(८) आप पूजा स्थान ईशान कोण के कमरे में होना चाहिए। कमरे में पूर्व दिशा की दीवार पर तथा पूजा करने वाले का मूह पूर्व की ओर एवं देवताओं के मुहँ पश्चिम दिशा की ओर हो।
(९) आप रसोई घर आग्नेय दिशा में होना चाहिए, खाना बनाते समय रसोई में काम करने वाले का मुहँ पूर्व दिशा में हो ।
(१०) आप वायव्य दिशा के कमरे में मुख्य रूप से मेहमान और अविवाहित को ही रहना चाहिए ।
(११) आप लाँकर को नैऋत्य में उत्तर की होना चाहिए ।
(१२) आप अपने घर में या अपने कमरे में भी पैंखाना दक्षिण या पश्चिम में होना चाहिये और पैंखाना का दरबाजा पूर्व या आग्नेय में हो ।
(१३) आप जब रसोई बनावे तो द्वार मध्य भाग में रखे। बाहर से आने वाले को चूल्हा दिखाई नही देना चाहिए।
(१४) आपके घर पर उत्तर या पूर्व से सूर्य का किरण आनी चाहिये ।
(१५) घर के उत्तर या पूर्व में चारदीवारी कम,चौरी एवं उँची होनी चाहिये।
(१६) आप स्नान गृह या स्नान पूर्व या उत्तर मुहँ करके करना चाहिये।
(१७) आप जहाँ पर गृह निर्माण कर रहे है उसके इर्द गिर्द किसी भी दिशा में गढ़ा नही होना चाहिये। परिसर मध्य भाग में भी गढ़ा नही होना चाहिये।
(१८) आपके घर के सामने रास्ता का अंत नही होना चाहिए । वीथी शूल योग (T,प्वान्ट) लग जाने से शकुन (मानसिक सुख) नही रह सकता है ।
(१९) आपके घर के सामने किसी भी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या कोई भी दिव्य जगह या दृष्टि परे तो बिलकुल खराब माना जाता है यानि वंश पर भी असर पड़ता है।
(२०) आप जहाँ भी गृह निर्माण हेतु भूमि ले । तो जैसे श्मशान, कब्र, या कोई अशुभ जगह हो या खंडहर हो या अभिसप्त जगह हो तो उसको कभी भी नही लेना चाहिए। आपको कभी भी जबरदस्ती जमीन नही लेना चाहिए । या बैंक के माध्यम से मकान नही लेना चाहिए ये सन्तान पर पड़ता है । सन्तान सुख नही मिलता ।
(२१) आप जब भी गृह निर्माण करे उसमे अहाता (बरामदा) जरुर होना चाहिए,नही तो शकुन नही होगा।
(२२) घर की मुख्य सीढ़िया दक्षिण या पश्चिम की ओर होनी चाहिये। ईशान में नही होनी चाहिये। वायव्य, आग्नेय, दिशा में भी ठीक है।
(२३) आप जब भी वैसे सीढिया दे दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य में ही लाभ प्रद होता है।
(२४) आप सीढ़ियों के नीचे कभी भी न कमरा सोने के लिए या मन्दिर या कैश बॉक्स भी वहा न बनाने का कष्ट करें ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें