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Kundli Se Mahatvapoorna Vichaar - कुंडली से महत्वपूर्ण विचार | Horoscope And Astrology

Kundli Se Mahatvapoorna Vichaar - कुंडली से महत्वपूर्ण विचार Horoscope And Astrology   रोगीरिव्यसनक्षतानि वसुधापुत्रारितश्चिन्तये- दुक्तं रोगकरं तदेव रिपुगे जीवे जितारिभवेत् I  षण्ढोऽरीशबुधौ विधुन्तुदयुतौ लग्नेशसम्बन्धिनौ  लिङ्गस्यामयकृद् व्रणेन रुधिरः षष्ठे सलग्नाधिपः II  कुण्डली के षष्ठ भाव से रोग विचार किया जाता है I इससे रोग, शत्रु, व्यसन और क्षत (चोट) आदि रोग का कारक ग्रह षष्ठ भाव, शनि, मंगल और राहु होते है I ये रोग देने वाले होते है I उसका स्वामी जब लग्नेश से सम्बन्ध बनाता है तो शरीर से संबंधित कष्ट मिलता है I षष्ठ भाव में यदि गुरु स्थित हों तो जातक शत्रुञ्जयी होता है I यदि षष्ठ भाव का स्वामी बुध और राहु के साथ युत हों और लग्नेश का सम्बन्ध हों तो नपुंसक होता है I वैसे कष्ट कई प्रकार के होते है और सभी कष्ट बड़ा -बड़ होता है यथा मानसिक कष्ट, आर्थिक कष्ट, सामाजिक कष्ट, भौतिक कष्ट, पारिवारिक कष्ट, नैतिक कष्ट, व्यवहारिक कष्ट, सांसारिक कष्ट, धार्मिक कष्ट और बहुत सारे कष्ट होते है I ये पाँच बातें भाव को कम-जोर करते है I जितनी अधिक पापी ग्रह स्थिति होगी उतना ही उस भाव ...