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Aap Naukari Karenge Ya Business Janiye Apni Kundli Ki Madad Se - नौकरी या व्यवसाय (धनागम) विचार - दशम भाव विचार

Aap Naukari Karenge Ya Business Janiye Apni Kundli Ki Madad Se

नौकरी या व्यवसाय (धनागम) विचार | दशम भाव विचार


Aap Naukari Karenge Ya Business Janiye Apni Kundli Ki Madad Se नौकरी या व्यवसाय (धनागम) विचार | दशम भाव विचार


मनुष्य का जीवन कर्म पर आधारित होता है कर्म अनेक प्रकार के होते है I सप्तम -दशम भाव से व्यवसाय -कर्म, पिता का विचार, गुण-स्वभाव, मानसिक-स्थिति, उत्कर्ष, राज- अनुकूलता, श्रेष्ठ अधिकार प्राप्ति, सत्ता अधिकारी, उपजीविका का साधन, राज्य से मान्यता, पद की प्राप्ति, समाज में श्रेष्ठ, महत्वकांक्षा, उद्योगधंधा, नौकरी में अधिकार, मान-सम्मान, महत्वपूर्ण कार्य में यश, कार्यकुशल, स्व-पराक्रम से धनलाभ आदि का शुभाशुभ विषयों पर विचार किया जाता है I  

  

स्वराश्यंशोच्चगे पूर्णबलोपेते तु कर्मपे I 

पितृसौख्यान्वितो जातः पुण्यकर्मा सुकीर्त्तिमान् II

कर्माधिपो बलोनश्चेत् कर्मवैकल्यमादिशेत् I 

राहुः केंद्र त्रिकोणस्थो ज्योतिष्टोमादियागकृत् II 


दशम भाव शुभ ग्रहों से युक्त हो तो जातक को वाणिज्य अथवा राजाश्रय से लाभ होता है इस कुण्डली के दशम भाव का स्वामी पूर्ण बली स्वराशी, नवांश या उच्च में हो तो जातक पितृसुख युक्त पुण्य कार्य करने वाला तथा यशस्वी होता है I वही कर्मेश निर्बल होने से जातक कर्महीन होते है I राहु-केंद्र या नवम भाव या नवम पंचम गत हो तो वह ज्योतिष्टोम आदि यज्ञ करने वाला होता है I कर्मेश शुभस्थान के विपरीत कर्मेश पाप युक्त हो, अष्टम भाव में होने से अशुभ होता है I 


सबले कर्मभावेशे स्वोच्चे स्वांशे स्वराशिगे I 

जातस्तातसुखेनाढ्यो  यशस्वी शुभकर्मकृत II 

कर्मेशे शुभसंयुक्ते शुभस्थानगते तथा I 

राजद्वारे च वाणिज्ये सदा लाभोऽन्यथान्यथा  II  


यदि आपके कुण्डली दशमेश बलवान हो, उच्च का हो, स्व नवमांश में या स्वराशि में हो तो पितृसुखयुक्त, यशस्वी और शुभ कार्य करने वाला होता है I दशमेश शुभ ग्रह युत हो या शुभ स्थान में हो तो राज दरबार और व्यापार से लाभ होता है, इसके विपरीत ग्रह होने पर विपरीत फल मिलता है I 

यदि आपके कुंडली में दशमेश कमजोर हो तो जातक दुष्ट आचरण करने वाला तथा चंचल चित्त होता है I सूर्य या राहु इस भाव में हो अथवा दशमेश शुक्र के साथ केंद्र(१, ४, ७, १० ) गोचर में हो तो पुरुष महायात्रा (मृत्यु, विदेश) करता है I निर्बल पाप ग्रह इस भाव में हो तो वह द्युतक्रीडा और साहसी होता है I लग्नेश और दशमेश एक ही ग्रह हो या एक ही स्थान में बैठे हो तो जातक स्वंय धन पैदा कर के पुण्य कार्य करता है I बुध और शुक्र जिस राशि में हो उस का स्वामी यदि निर्बल हो तो वह नीच या क्रूर कर्म करता है I चन्द्र युक्त दशमेश नवम भाव में हो तो वह जीर्णोद्धार ( एतिहासिक जगह को ) कराता है I दशमेश उच्च राशि का या शुभ ग्रह युत होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो वह व्यापार में हो तो सत्कृत्यों से पराङ्गमुख होता है I


पंचमेश, नवमेश, दशमेश और लग्नेश शुभ ग्रह हो और बलिष्ठ हो तो जातक ज्ञानी होता है I दशमेश से युत या बुध से दृष्ट शनि इस भाव में हो अथवा शनि से दृष्ट बुध और चन्द्र हो तो वह भगवत्प्राप्यर्थं संन्यास ग्रहण करता है I चन्द्र से दशम स्थान में बुध, गुरु और शुक्र हो तो संन्यास योग ( प्रवृति ) बनता है I पंचम, नवम, दशम, या द्वादश भाव में सूर्य, मंगल, गुरु, और शनि हो तो जातक परमात्मा के ध्यान में मग्न रहता है I तीन से अधिक शुभ ग्रह केंद्र या त्रिकोण में हो वा स्वगृही, मित्र गृही या एकत्र होकर इस भाव में हो तो प्रव्रज्या योग बनता है इस योग में जातक साधु या साधुस्वभाव का होता है I दशमेश द्वितीय या सप्तम भाव में हो अथवा द्वितीयेश सप्तमेश से युत हो तो विषयी होता है I दशमेश या दशम भाव में बुध हो तो व्यापारी होता है I मंगल यदि इस भाव में हो तो लोभी और धन भूमि विषयी चिंता करने वाला होता है I नवम, पंचम, और सप्तम भाव में गुरु हो तो पुत्र विषयक चिन्ता होतो है I दशमेश निर्बल हो या त्रिक ६, ८, १२ भाव में हो तो उस जातक को जीवन में सुख नही मिलता है I


दशमेश लग्न में हो तो जातक कवि तथा उत्तरावस्था में सुखी, द्वितीय भाव में वक्ता, तृतीय भाव में दशमेश होने से स्वच्छ्न्दी प्रवृति के, चतुर्थ भाव में होने से सुखी पञ्चम भाव में होने से पुत्रवान, षष्ठ भाव में होने से दुखी और शत्रु से पीड़ित, सप्तम भाव में होने से स्वच्छ्द, अष्टम भाव में होने से दुखी, नवम भाव में होने से भाग्यवान, दशम भाव में सत्य वक्ता तथा ईश्वर भक्त, एकादश भाव में धनिक और संतोषी तथा द्वादश भाव में दुखी और अपयशी होता है I 


सूर्य दशमेश या दशम भाव में हो तो पुरुष बुद्धिमान, पुत्रवान, धनिक, राजा का आश्रित और परोपकारी, चन्द्र हो तो राजमान्य, कीर्त्तिमान, बलवान, संतोषी और सुशील, मंगल हो तो संतोषी, साहसी और धन संचय करने वाला, बुध हो तो ज्ञानी, पराक्रमी, सम्पत्तिमान और मधुरभाषी, गुरु हो तो राजमान्य, मित्र, धन, पुत्र,स्त्री आदि के सुख से युक्त और यशस्वी, शुक्र हो तो सन्मान प्राप्त करने वाला, जप-ध्यान आदि धार्मिक कृत्य करने वाला, धनवान और कुटुम्ब प्रेमी, शनि हो तो  राजा का मंत्री, चोर और प्रपन्ची, राहु या केतु हो तो पितृसुख, अल्प और वात पीड़ा होती है I 


आदित्यभौमशनयः किल कर्मसं

कुर्युर्नरं    बहकुकर्मकरं      दरिद्रम् I 

चन्द्रश्च    कीर्तिमुशना   बहुवित्तयुक्तं 

गुणान्वितं गुरुबुधौ  बहराज्यपूज्यम् II 


आपके कुण्डली के दशम भाव में सूर्य, मंगल, शनि में से कोई भी ग्रह स्थित हो और पापी हो तो वह जातक को दरिद्र और व्यसनी बना देगा I परन्तु  चन्द्रमा दशम में यश प्रतिष्ठा, शुक्र अनेक दिशा से धन, गुरु अनेक गुण प्रदान करता है और बुध राजमान्य प्रतिष्ठा प्रदान करता है, तथा नौकरी भी दिलाता है I


Aap Naukari Karenge Ya Business Janiye Apni Kundli Ki Madad Se नौकरी या व्यवसाय (धनागम) विचार | दशम भाव विचार 

दशम भाव में मेष राशि होने से मंगल कर्मेश और सुखेश होता है पूर्ण बली होकर राजयोग प्रदान करता है I फलतः राज्य सुख, वाहन, जमीन, मकान,आदि का प्रबल सुख देता है I उच्चराशि होकर यदि सप्तम भाव में हो तो पूर्ण राज सुख प्राप्त होगा I इस योग से मंत्री या सेनानायक, उच्च प्रशासनिक बनाने में सहयोग करता है I वृष राशि होने से शुक्र कर्मेश और पराकर्मेश भी होता है I अगर नीच होने से रोग और कष्ट ज्यादा ही मिलेगा या उच्च हो गया तो पूर्ण राज योग प्राप्त करेगें I


मिथुन राशि दशम भाव में बुध लग्नेश भी होता है I बली होकर राज्यपद, धन की प्राप्ति, यश और कीर्ति का लाभ करवाता है I राहु केतु से सम्बंधित होकर और अधिक धनार्जन करवाता है I नौकरी की अपेक्षा इसे व्यवसाय से अधिक लाभ होता है I कर्क राशि दशम भाव में होने जातक को जागरूक बनाता है I मकर राशि से चन्द्रमा मन के साथ विशेष रुचि उत्पन्न कर देता है I फलतः जातक राजनीति में अधिक रुचि लेने लगते है I


श्रम, न्याय, और धर्म में विश्वास करता है I सिंह राशि के दशम भाव में होने से सूर्य बली होकर पिता को धनी, यशस्वी और राज्य सता को प्राप्त करने वाला बनता है I सम्पादक या उच्च पद का योग बनाता है इसकी यश कीर्ति का विस्तार होता है I दशम भाव में कन्या राशि से बुध सप्तमेश भी होता है I फलतः इसमें केंद्राधिक दोष बनेगा I अगर बुध केंद्र में स्थापित हो जाय I अशुभ फल देगा I परन्तु बुध बली होकर राज्य सम्मान, रिसर्च, वैज्ञानिक, या उच्च सर्ज्जन बन सकते है I


तुला राशि हो तो दशम भाव में शुक्र दशमेश के संग पंचमेश राजयोग बना देता है I फलतः शुक्र जिस भाव और भावेश से नाता जोड़ता है I उसे पूर्ण शुभ योग बना देता I जिससे धन, यश, पद, उन्नति आदि उत्तम फल प्रदान करता है I निर्बल हो जाय तो आर्थिक कष्ट मिलता है I दशम भाव में वृश्चिकराशि से मंगल तृतीयेश भी है I बली होकर उत्तम फल देता है I परन्तु पापी होने से नौकरी में कष्ट या अपयश लगा देता है I धनु राशि दशम भाव में हो तो तृतीयेश भी गुरु होता है I


अतः जिस भाव और भावेश से सम्बन्ध बनाएगा I उस भाव अभिबर्धित करेगा I गुरु बलवान होकर धन, यश, विद्या, राज्य सम्मान आदि को प्रदान करेगा I मकर राशि दशम भाव में होने से जातक लाभेश शनि योग कारक बन जाता है I बुध के साथ शनि का संयोग कष्टदायी बना सकता है अगर दोनों पापी हो जाय तो I कुम्भ राशि दशम भाव शनि नवम भाव का स्वामी भी है I


केंद्र और त्रिकोण का मालिक शनि उत्तमोत्तम समय मिल सकता तब जब दशा अन्तर का संयोग प्राप्त होगा I मीन राशि दशम भाव में होने से गुरु सप्तमेश भी है गुरु शुभ हो जाय तो उत्तम फल देगा I द्वितीय, षष्ठ, अष्टम और द्वादश भाव में रहने रोग का संयोग बना देता है I अगर बली हो गया तो यश, धन, पुरस्कार आदि I 


           सूर्य प्रधान जातक आत्मा, सस्कृति या संस्कार से तथा चन्द्र प्रधान जातक मन या दूसरों से चलते है अगर दशम भाव जिससे प्रभावित होगा वैसा जातक का जीवन चलना संभव I चन्द्र राशि के दशम भाव द्वारा मानसिक वृति अनुसार( मन के ) कार्य सम्पन्नता का बोध कराता है I तथा सूर्य कुंडली से दशम भाव आत्मा की प्रबलता का ज्ञान कार्योंन्त्ति का बोध करता है I


अर्थात् आपका कुंडली में सबसे बलवान् कुंडली कौन-सा है जिससे आपका जीवन चल रहा है या चलेगा- वह लग्न कुंडली, चन्द्रलग्न कुंडली या सूर्यलग्न कुंडली है उसी आधार पर आप अपनी जीवन यात्रा करेगे I


परन्तु आज-कल सभी दैवज्ञ लग्न या राशि से ही सब कुछ बताने का प्रयास करते है जो ५०% सामान्य फलित होता  है I पुर्णतः सही विचार षोडशः वर्ग से होती है I इसी कारण प्रत्येक व्यक्ति की आजीविका अलग-अलग और भिन्न- भिन्न क्षेत्रों में होती है I


कई बार व्यक्ति इच्छानुसार कार्य के क्षेत्र में पूर्ण परिश्रम करने के बाबजूद भी सफल नही होते I अर्थात जो आपके स्वभाव निर्धारित कुंडली में है आप उसी दिशा में आगे बढ़ेगे तो शकुन से जीवन यापन करने गलते है I ये सब बाते कुंडली में पूर्व निर्धारित रहता है I व्यवसाय विचार में प्रथम एकादश (आय) भाव+ दशम (कर्म) भाव + पञ्चम भाव (विद्या) तीनों भावों के ग्रहों के संयोग से नौकरी, व्यसाय या धनागम शुरू होता है I


जो जातक आत्मा के अनुसार चलते है वह कभी भी भटकते नही परन्तु जो जातक मन के अनुसार चलने से है वे जीवन- भर संघर्ष से रहते है या यो कहे की उसके कुंडली में उसी तरह के जीवन जीने को मिलता है I आपके कुंडली में द्वादश भाव तथा सातों ग्रहों में जो शुभाशुभ ग्रह होगे वह जिस भावों में होगे उस भाव से सम्बन्धी और उसी अवस्था में आपको को शुभा- शुभ फल प्राप्त करेगे I


अर्थात् जन्म के साथ ही ग्रह स्थिति से यह सब निश्चित हो जाता है कि हम किस क्षेत्र में जायेगें या क्या कार्य हमारे लिए उपयुक्त है तथा इसमें भी नौकरी या स्वंय व्यवसाय तो ज्योतिष शास्त्र की यही उपयोगिता है कि आप अपने लिए उपयुक्त क्षेत्र चयन करने से सहज ही सफलता मिलेगी I


यदि जातक की कुंडली के दशम भाव में मेष, कर्क, तुला या मकर चर राशि स्थिति होने से स्वतंत्र सोच रखने वाला और अति महत्त्वाकांक्षी होता है ऐसा जातक स्वतंत्र व्यवसाय को पसंद करता है I यदि कुंडली के दशम भाव में स्थिर वृष, सिंह,वृश्चिक या कुम्भ राशि हो तो व्यक्ति एक स्थान पर स्थिर होकर कर व्यवसाय या नौकरी को अपनाता है I यदि कुंडली के दशम भाव द्विस्वभाव मिथुन, कन्या, धनु या मीन राशि स्थिति हो तो जातक समय के अनुकूल अपने आप को परिस्थिति के अनुसार नौकरी या व्यवसाय दोनों को अपना सकता है I


अर्थात् दशमेश चर राशि वाले व्यवसाय में सफल रहते, स्थिर राशि वाले नौकरी में सफल रहते तथा द्विस्वभाव राशि वाले दोनों जगह सफल रहते है I यदि कुंडली में सप्तम भाव, सप्तमेश, एका दश भाव एकादशेश वा बुध अच्छी स्थिति में हो तो ही जातक व्यवसाय में अच्छी सफलता पायेगा तथा षष्ठ भाव वा षष्ठेश अच्छी स्थिति में हो तो नौकरीमें सफलता होगी या षष्ठ भाव में पाप ग्रह हो या षष्ठेश अत्यंत पीड़ित हो तो जातक को नौकरी में बहुत समस्याए होती रहती है I   Aap Naukari Karenge Ya Business Janiye Apni Kundli Ki Madad Se नौकरी या व्यवसाय (धनागम) विचार | दशम भाव विचार

दशांश वर्ग के दशम भाव में स्थित ग्रह तथा दशम भाव पर दृष्टि डालने वाले ग्रह से संबंधी जातक का कार्य क्षेत्र होता है I यदि ग्रह एक से अधिक हो तो जातक एक से अधिक व्यवसाय भी अपना सकता है जो ग्रह सबसे अधिक बली हो उन ग्रहों से संबंधित क्षेत्र में जाने से उत्तम जीवन और शकुन से पूर्ण रहता है I जो ग्रह सबसे बलवान् हो  उसके अनुसार कार्य क्षेत्र निर्धारित होता है I शनि या शनि से त्रिकोण भाव में स्थिति ग्रह से भी आजीविका पूर्णतया संभव है I

यदि दशम भाव में अग्नितत्व मेष, सिंह या धनु राशि या ग्रह भी होने से जातक को ऊर्जा बिजली,अग्नि,पराक्रम सेना प्रबंध शल्यचिकित्सक  आदि क्षेत्रों में इनकों सफलता मिलेगा I यदि दशम भाव में भूमितत्व वृष, कन्या या मकर राशि या ग्रह हो तो जातक भू-सम्पदा, भूमि क्रय -विक्रय, घर बनाना से संबंधित कार्यो को करने से पूर्ण लाभ का योग बनता है I

यदि दशम भाव में वायु तत्व मिथुन, तुला या कुम्भ राशि ग्रह हो तो जातक बुद्धिपरक कम्प्यूटर संबंधित, लेखन या लेखा-जोखा वैज्ञानिक आदि I यदि दशम भाव में जल तत्व कर्क,वृश्चिक या मीन राशि या ग्रह हो तो जातक जल से सम्बंधित, नेवी, सिचाई आदि क्षेत्रों में कार्य करने से पूर्ण लाभ मिलता  है I 

सूर्य ग्रह - चिकित्सक (फिजिशियन), दवाइयों से सम्बंधित, प्रबंधन (मेनेजमेंट), राजनीती, उच्च पद- IAS आदि I

चन्द्र ग्रह -जल से सम्बंधित कार्य, पेय पदार्थ -डेयरी, कोलड्रिंक, शराब आदि का कार्य,आइसक्रीम का कार्य, यात्रा से सम्बंधित कार्य तथा एनीमेशन सम्बंधित भी कार्य इसी ग्रहों से निर्धारित किया जाता है I

मंगल ग्रह -जमीन जायदाद खरीद- विक्री, विद्युत सम्बंधित कार्य, शल्यचिकित्सक, सिविल इंजीनियरिंग, इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग,आर्किटेक्चर, मेनेजमेंट, खेल आदि,

बुध ग्रह -वाणिज्य सम्बंधित, एकांउट, कम्प्यूटर, लेखन-प्रकाशन, कथा- वाचन, गुप्तविद्या, ऐंकरिंग, कंसलटेंसी, टेलीफोनिक-डाक विभाग, कोरियर, यातायात सम्बंधित कार्य, पत्रकारिता- मिडिया, बिमा- कंपनी तथा कला सम्बन्धित कार्य करने से लाभ मिलेगा |

गुरु ग्रह - धार्मिक व्यवसाय, अध्ययन -अध्यापन, किताब- कागज से सम्बंधित कार्य, संपादन, न्यायलय सम्बंधित, वस्त्रों से सम्बंधित, लकड़ी से सम्बंधित कार्य आदि I

शुक्र ग्रह -कलात्मक( गायन, वादन नृत्य तथा अभिनय, डेकोरेशन आदि कार्य, फैशन डिजाईनिंग, पेंटिंग, स्त्रियों से सम्बंधित वस्तुऐ, काँ स्मैटिक समान, स्त्रियों के वस्त्र, विलासिता ( घर वाहन वस्तु), सजावट की वस्तुओ, मिठाई कार्य, एनीमेशन आदि,

शनि ग्र- मशीन से सम्बंधित, कल-पुर्जो से सम्बंधित, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, केमिकल, ज्वलनशील (पैट्रोल -डीजल), लोहे से सम्बंधित, कच्ची धातु , मैनिंग, कोयला, प्राचीनतम- पुरातत्त्व वास्तु तथा अधिक श्रम वाला कार्य पर विचार किया जाता है I  लोहे या मशीनों से सम्बंधित कल पुर्जे, मैकेनिकल इंजीनिरिंग, केमिकल प्रोडक्ट, ज्वलनशील तेल, कोयला,  प्राचीन वस्तुए, पुरातत्व विभाग तथा अधिक परिश्रम वाला कार्य आदि I 

राहू ग्रह -आकस्मिक लाभ वाले कार्य, मशीनों से सम्बंधित, तामसिक पदार्थ, जासूसी- गुप्त कार्य आदि विषय सम्बन्धी, कीटनाशक -एंटीबायोटिक दबाईया I

केतु ग्रह - समाजिक सेवा से जुड़े कार्य धर्म आध्यात्मिक कार्य आदि I 

आपका नौकरी या व्यवसाय घर के नजदीक या दूर या बहुत दूर विदेश में रहेगा, परन्तु इसके अतिरिक्त विदेश जाने सफल होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक चन्द्र और शुक्र होता है I विदेश द्वादश भाव से तथा चन्द्र शुभ होने से जातक जाते है I

जातक के सरकारी नौकरी के योग जब बलवान उच्च, स्वगृह, लग्नेश या दशमेश से युति करके उस भाव से सम्बन्ध बनता हो तथा सूर्य, बुध, गुरु तथा शनि ग्रह होते है I   


 यद्यद्भावपतिस्त्रिकोणग्रहगः केन्द्रत्रिलाभाश्रितो 

मित्रोच्चस्वगृहांशगो बलवतोरेत्य स्थितः सौम्ययोः I 

मध्ये तत्पतिषूच्चगेषु च शुभैर्युक्तेक्षितो वा ग्रह-

स्तत्तद्भावफलस्य वृद्धिमतुलां शीघ्रं करोति क्रमात् II८३II    

      आप जब भी कुण्डलीं देखे तो किस भाव का स्वामी कहा है जिस जिस भाव का स्वामी त्रिकोण भाव में, केन्द्र भाव में अथवा तृतीय या एकादश भाव में स्थित हो और जिस राशि अथवा नवांश में स्थित हो, वे यदि उसकी मित्र अथवा निज राशि में हो, अथवा शुभ ग्रहों से युक्त अथवा दृष्ट हो तथा जिस केन्द्र त्रिकोण, तृतीय अथवा एकादश भाव में स्थित हो, उसका स्वामी भी उच्च हो तो शीघ्र ही अतुल सम्पत्ति प्रदान करता है I कुछ विशिष्ट यन्त्र या साधना से आप पूर्ण सफल जीवन प्राप्त कर सकते है :--

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