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उत्तरार्ध - ग्रहोपचार और रत्न विचार | Pathharon Aur Raton Ke Baare Mein Jaane By Astrologer Dr. Sunil Nath Jha

 उत्तरार्ध - ग्रहोपचार और रत्न विचार | Pathharon Aur Raton Ke Baare Mein Jaane By Astrologer Dr. Sunil Nath Jha उत्तरार्ध- (ग्रहोपचार और रत्न विचार) सौर मंडल में जिस प्रकार जातक के जन्म के समय में ग्रहों की स्थिति रहती है, उसी स्थिति को जन्म कुंडली के माध्यम से दर्शाया जाता है जिसमें द्वाद्श भाव   होता है I प्रत्येक भाव का अपना अलग- अलग कार्य- क्षेत्र है, जिससे मनुष्य के जीवन के सभी कार्यों का ज्ञान हो जाता है I सौर-मण्डल में मुख्यतः सात ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि तथा दो छाया ग्रह राहु और केतु माने जाते है I इन नवग्रहों के भी अलग- अलग कार्य-तथा प्रभाव क्षेत्र है I ये सातों ग्रह द्वादश भावों के स्वामी है I तथा द्वादश भावों को प्रभावित करते रहते है I  रोगादयमुत्स्थास्यति नवेति लग्नं भिषग् द्युनम्   l  व्याधिर्दशम रोगी हिबुकं भैषजमित्याहुराचार्याः ll  क्रूरार्दिते विलग्ने वैद्यान्न गुणस्तदौषधाद्रोगः  l  वृद्धिमुपयाति  दशमे क्रूरैर्निजबुद्धितोऽप्यगुणाः ll  अस्ते च क्रूरयुक्ते मांद्यान्मांद्यं   तथौषधाद...