Numerology Kya Hoti Hai? Janiye Numerology Ke Baare Mein?
अंक विज्ञान - Numerology
Numerology Kya Hoti Hai? Janiye Numerology Ke Baare Mein?
भारतीय ज्योतिष में मूल रुप से ९ ग्रहों को ही प्रधानता दी गई है, अतः अंक विद्या में भी प्रथम ९ अंको की ही प्रधानता मानी जाती है | इसके पश्चात् के अंक सयुक्त संख्या के रुप में माने जाते है | एक से नौ तक के अंक मूलांक कहलाते है | मूलांक १, २, ३, और ४ इसको वृहद् मूलांक तथा शेष ५, ६, ७, ८ और ९ पांच मूलान्को को लघु मूलांक कहते है | अंक विज्ञान विश्व का सर्वाधिक प्राचीन एवं नवीनतम विज्ञानं है |
प्राचीन इसलिए कि भारतीयों ऋषियों विज्ञानविदों एवं भविष्यवेताओ को इसका ज्ञान था और नवीनतम इसलिए की जिस रुप में आजकल इसका प्रयोग किया जा रहा है उसके अनुसार यह प्राचीन पद्धति से हटकर अपनी एक नवीन सत्ता के साथ आगे बढ़ रहा है | इसका अध्ययन करने के लिए मस्तिष्क का संतुलन परमावश्यक है | आप इसमें जातक के सुख-दुःख और
तीनो काल को समेटे हुए है वैसे सारे शास्त्र(ज्योतिषशास्त्र, रमलशास्त्र,टेरोकार्ड, सामुद्रिकशास्त्र या अंकशास्त्र आदि किसी के भी ) अनुसार जीवन पथ एक जैसा ही रहना चाहिए | अंक ज्योतिष का प्रयोग विशेष रुप से अंकों के माध्यम से व्यक्ति के भविष्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए कि जाती है |
अंक ज्योतिष में की जाने वाली भविष्य की गणना विशेष रुप से ज्योतिषशास्त्र में नवों ग्रहों सूर्य, चन्द्र, गुरु, राहु, बुध, शुक्र, केतु, शनि और मंगल के साथ १ से ९ तक के प्रत्येक अंकों को ९ ग्रहों का प्रतिरूप माना जाता है | जातक के जन्म के बाद ग्रहों की स्थिति के आधार पर ही उसके व्यक्तित्व की जानकारी प्राप्त की जाती है | | आजकल कुछ अंकशास्त्री अक्षर या मात्रा बढ़ा देते है जिससे उन् ग्रहों का वर्चस्व बढ़ जाएगा जिससे जातक और मुडी हो जाता | जातक के जन्म के समय एक ग्रह योग कारक होता ही है उसी ग्रह का जो अंक निर्धारित है अंकविद्या में उसी ग्रह का अंक उसके जीवन पर प्रभाव डालता है | यथा - नौ मूलांकों में प्रथम १-सूर्य, २-चन्द्र, ३-गुरु, ४-राहु, ५- बुध, ६- शुक्र, ७- केतु, ८- शनि और ९-मंगल | जिस व्यक्ति का जो मूलांक होता है उस व्यक्ति के जीवन का प्रतिनिधित्व, खान-पान, रहन-सहन, स्वभाव और लक्षण उस अंक या उसके स्वामी ग्रह के अनुसार रहता है | उपरोक्त नौ मूलांक सातों वारों का भी प्रतिनिधि करते है, जो इस प्रकार है यथा- रविवार-१ और ४, सोमवार-२ और ७, मंगलवार-९, बुधवार -५, गुरुवार-३, शुक्रवार-६, शनिवार-८ अंक का ही प्रतिनिधत्व करते है | चालों का सूक्ष्म अध्ययन करे के भौतिक और मानव जीवन में घटित होने वाली घटनाओं पर, उनके प्रभाव को जानने का यत्न किया।
इसी क्रम में उसने अनुभव किया कि ग्रहों के साथ-साथ अंक के रुप में भी जीवन की घटनाओं को प्रभावित करते हैं। अंकों के रहस्य और शक्ति को जानने का प्रयास हजारों वर्षों से होता रहा है। क्या गणित था, यह बता पाना संभव नहीं है। फिर भी जो भी उनसे पाया उसे और आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए तथा इसके लिए अनुसंधान करने की आवश्यकता है।
ऐसे क्रम में संयुक्त अंक या भाग्य अंक का खेल मानव जीवन में कैसे होता है, एक दिलचस्प कड़ी है ज्योतिष-विद्या की= संयुक्त का अर्थ होता है संयोग करना यानी जोड़ना। जन्म तारीख, महीना और सन तीनों की विविध संख्याओं को जोड़कर संयुक्त अंक या भाग्यांक बनाया जाता है।
यथा - मान लीजिए किसी जातक (व्यक्ति) का जन्म ४/१२/१९७० को हुआ है दिन ० +४ =४, महिना १२ = १+२= ३, सन १९७०= १+९+७+० = १७= १+७= ८, इन तीनों को जोड़ने पर = ४+३+८ = १५ संख्या आई | अब= १+५ जोड़कर सख्या ६ अंक निकली है | यानि भाग्यांक ६ हुआ | इस अंक का बहुत महत्व होता है इसलिए इसे भाग्य को चमत्कारिक अंक भी कहते हैं | भाग्यांक १- के लिए भाग्यशाली वर्ष वही सिद्ध होंगे जिनका योग १ होता हो या फिर मित्र अंकों से संबंधित वर्ष भी बेहतर सिद्ध होंगे |
जैसे –
१ अंक का मित्र अंक ३, ५ और ७ होता है |
२ अंक का मित्र अंक ४ और ८ होता है |
३ अंक का मित्र अंक १, ५, ६, ७ और ९ होता है |
४ अंक का मित्र अंक २ और ८ होता है |
५ अंक का मित्र अंक १, ३, ७ और १० होता है |
६ अंक का मित्र अंक ३ और ९ होता है |
७ अंक का मित्र अंक १, ३ और ५ होता है |
८ अंक का मित्र अंक २ और ४ होता है |
९ अंक का मित्र अंक ३ और ६ होता है | यानि कुल भाग्यांक ९ हुए और सभी अंकों को जोड़कर १ से ९ संख्या का सूक्ष्म अंक निकल लिया जाता है |
मूलांक में मुख्य रुप से अंकों का प्रयोग तीन तरीके से किया जाता है |
१. मूलांक -किसी भी व्यक्ति की जन्म तिथि को एक-एक कर जोड़ने से जो अंक प्राप्त होता है वह उस जातक का मूलांक होता है | यथा - किसी जातक (व्यक्ति) का जन्म तिथि २० को है तो २+० = २ हुआ तो जातक का मूलांक २ होगा |
२. भाग्यांक - किसी जातक की जन्म तिथि, माह और वर्ष को जोड़ने के बाद जो अंक प्राप्त होता है वो उस जातक का भाग्यांक होता है | यथा- यदि किसी जातक की जन्म तिथि ४/१२/१९७० है तो उस जातक(व्यक्ति) का भाग्यांक दिन ० +४ =४, महिना १२ = १+२= ३, सन १९७०= १+९+७+० = १७= १+७= ८, इन तीनों को जोड़ने पर = ४+३+८ = १५ संख्या आई | अब= १+५ जोड़कर सख्या ६ अंक निकली है | अर्थात् इस जातक कि जन्म तिथि वाले व्यक्ति का भाग्यांक ६ बनता है |
३. नामांक- किसी व्यक्ति के नाम से जुड़े अक्षरों को जोड़ने के बाद जो अंक प्राप्त होता है वो उस जातक का नामांक कहलाता है | यथा - यदि किसी जातक का नाम sunil है तो इन अक्षरों से जुड़े अंकों को जोड़ने के बाद ही उसका नामांक निकाला जा सकता है | s १९= १+९ = १०= १+० = १, +u २१= २+१ = ३, +n १४= १+४=५, + i ९= ९, + l १२= १+२= ३ हुआ s१ +u३ + n५ +i९ +l३ = २१ = २+१ = ३ इस नाम के व्यक्ति का नामांक = ३ बना |
मूलांक १ (1)
इस मूलांक वाले जातक के इष्ट श्रीसूर्यदेव होते है जो सहनशील, व्यवहार कुशल, क्रोधी उच्चकोटि की होता है नेतृत्व करने की प्रवृति आप में प्रबल होता है प्रसिद्धि का योग बनता है | इस अंक वाले मेष राशि का प्रतिनिधित्व करता है |ऐसे जातक हर समय आगे बढने की प्रयास करता है, शारीरिक सरंचना और सुदृढ़ साथ ही निर्णय लेने में भी चतुर होते है |आपका भाग्योदय भी हो सकता जब आप स्वतन्त्र कार्य करें जिससे परिचय क्षेत्र विस्तृत होगा | नेतृत्व करने की प्रवृति आप में प्रबल है | स्वतंत्र व्यक्तित्व, स्वतन्त्र निर्णय और स्वतन्त्र जीवन आपके लिए प्रधान रहेगा | यह जातक अपने कार्य क्षेत्र में कम से कम हस्तक्षेप चाहते है | क्रोध में आप दूसरों की हनी पहुचने की प्रवृति होती ही है |
आपकों आकस्मिक लाभ-व्यय होते ही रहेगें | इन्हें रक्त, ह्रदय नेत्र से सम्बंधित यदाकदा कष्ट रहेगा | आप जोखिम उठा सकते परन्तु धन संबंधित न करे.परेशानी आ सकती है | हद से ज्यादा विश्वास न करें | तथा मित्रों से धन सम्बंधित धोखा मिलेगा |
यानि स्त्री या पुरुष दोस्त से दुरी बना कर ही रहे | श्रीसूर्य या श्रीविष्णु की आराधना करने से लाभ पूर्ण रुपेण मिलेगा | श्रीआदित्यहृदयकवच करने से भी लाभ रहेगा | अग्रेजी तारीख - १, १०, १९ और २८ की अथवा २२ मार्च से २८ अप्रैल १० तथा जुलाई से २० अगस्त के बीच जन्म हुआ है वे व्यक्ति आपके लिए अधिक शुभ सहयोगी तथा विश्वास पात्र सिद्ध होगें |
जिनका मूलांक १, ४ या ७ है वे भी आपके लिए अच्छे दोस्त, विवाह या व्यवसाय में सिद्ध होगा | रविवार दिन, सूर्य देवता तथा माणिक रत्न शुभ रहता है | शुभ तारीखें १, ४, १०, १३, १९, २२, २८ और ३१ | तथा शुभ वर्ष-१,१०, १९, २८, ३७, ४६, ५५, ६४ तथा ७३ रहेगा | अर्थात उपरोक्त वर्षों का जोड़ एक है, अतः आपके जीवन के वे सभी वर्ष जिनका योग एक है, आपके जीवन को उन्नत मोड़ देने में श्रेष्ठ सिद्ध होगें |
मूलांक २ (2)
यह मूलांक चन्द्र तत्व प्रधान होने के कारण जातक स्त्री तत्व गुण से युक्त होते है | दूसरों के ह्रदय की बात जान लेने का इसमें सहज गुण होता है | फलस्वरूप इस मूलांक से सम्बंधित जातक सहृदय, कल्पनाप्रिय एवं मधुरभाषी होता है | इस अंक वाले जातक शारीरिक रुप से अधिक प्रबल नही होते परन्तु मानसिक रुप से पुर्णतः स्वस्थ एवं स्वभाव से शंकालु और सदैव दूसरों का हित संपादन करते साथ ही स्वभाव से कोमल होने के कारण आप दूसरो पर दयालु भी रहते है |
सौन्दर्य आपकी परिष्कृत तथा दूसरों को सम्मोहित करने की कला अन्दर रहता है | सबसे बड़ी बात यह है कि आपके सरल और सहृदय होने के कारण दुसरे लोग आपका गलत उपयोग करते है | अधिक कल्पनाशील होने के कारण परिवार से भी यदाकदा उच्च-नीच सुनने को मिलती है तथा मानसिक तनाव बना रहता है पर भी आप इससे बच नही सकते | वास्तविक मित्रों का आभाव आपको सदैव खटकता ही रहेगा |
चन्द्र तत्व प्रधान होने के कारण आपके स्वभाव और व्यवहार में स्त्रीत्व कि मात्रा विशेष रहेगी | स्त्रियों के मामले में आप सौभाग्यशाली रहेगें, स्त्रियाँ सहज ही आपका विश्वास कर लेगी तथा उनसे परिचय भी आप अन्य कि अपेक्षा जल्दी बढ़ा लेगें | आप समझदार, सुशील एवं सतर्क व्यक्तित्व संपन्न जातक है | आप भावुक तथा संवेदन प्रधान व्यक्तित्व के कारण छोटी से छोटी घटना, परिस्थिति एवं वातावरण का भी आपके मन पर प्रभाव परता है | आप छुआछूत पर ज्यादा ध्यान देंगे |
चन्द्रमा जब-जब सूर्य के नक्षत्र में जायेगे कृतिका, उतराफा० या उ-आषाढ़पर हो या सिंह राशि में विचरण करेगा या चन्द्र सूर्य के साथ हो उस समय जातक को किसी भी प्रकार का कष्ट का योग बन सकता है यानि दिसंबर जनवरी फरवरी तक उलझन का समय रहेगा | आपको ह्रदय, पेट और स्नायु रोग हो सकते है तथा क्रोध से बचे | अग्रेजी तारीख- २, ११, २० और २९ तथा जातक २० जून से २७ जुलाई तक कोई भी तारीख के बीच दोस्ती या कार्य करने पर शुभ ही होगा | सोमवार दिन, श्रीशंकर जी की पूजा और मोती रत्न से शुभ रहेगा | २ अंक वालों का सम्बन्ध जिन जातको का मूलांक ४ तथा ८ हो तो वह शुभ रहेगा |
मूलांक ३ (3)
इस मूलांक वाले साहस, विद्या, ज्ञान और धर्म के ज्ञाता होते है | अतः ऐसे व्यक्ति हृदय से धार्मिक प्रकृति प्रधान होते है परन्तु इनका धर्म रुढ़िवादिता से ग्रस्त नहीं होता अपितु लचीला एवं सर्वसुख भोगने वाला होता है | स्वार्थ की भावना ज्यादा, द्रव्य आपके पास अवश्य आयेगी परन्तु रुकेगी नही, आप स्वादिष्ट भोजन प्रिय, उद्यमी प्रवृति, स्नेही तथा आप किसी से भी घनिष्ट सम्बन्ध बनाने वाले होते है | आप महत्वाकांक्षी, छोटा कार्य आपको पसंद नहीं |
आप अनुशासन प्रिय, अध्ययन अध्यापन पसंद या कार्य करने वाले, मंत्र वाहक अर्थात् धार्मिक कार्य प्रिय होते है | आपका कीर्ति उत्तरोत्तर फैलने वाला है | आप आलसी, पेट, ह्रदय, प्रमेह, पित्त प्रधान तथा आप में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण ज्वर सर्दी हो सकता | अग्रेजी तारीख -३, १२, तथा २१ जातक के लिए श्रेयष्कर रहेगी |
तीन अंक के मित्र अंक १, ५, ६, ७ और ९ वाले भी होते है तथा १९ फरवरी से २० मार्च और २१ नवम्बर से २० दिसंबर तक के समय में भी कार्य शुभ रहता है | इस जातक का प्रधान देवता श्रीविष्णु, गुरुवार दिन तथा पुखराज धारण करे | आपको जब किसी भी परेशनी में हो तो गुरुदेव ( बृहस्पति ) कि आराधना करने से सिद्धि प्राप्त करेगें |
मूलांक ४ (4)
इस अंक वालों का प्रधान देवता श्रीगणपतिजी है जो जातक चतुर्थी तिथि में आराधना करते है वो सभी प्रकार के दुःख तथा अनिष्टों का नाश करने वाले हैं | आपका जीवन निरंतर उथल-पुथल एवं संघर्ष प्रधान जीवन रहता है | इस जातक को जितना जल्दी क्रोध चढ़ता उतना ही तीव्रता से वह उतर भी जाता है |
आपके स्वभाव मृदुभाषी और मितभाषी, आपके विचार, आपकी रीती-नीति और आपकी योजनाओं के बारे में निश्चित रुप से कुछ भी नही कहा जा सकता | आप किसी निर्णय पर जल्दी नही पहुचते |
आप अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेते है | आप कला प्रेमी नही होगे परन्तु दिखवा वैसा ही रहेगा | आपका जीवन भोगी उत्तम रहेगा परन्तु मन प्रशन्न कम रहेगा | क्रोध कम करने सब कुछ प्राप्त करेगे | अपनी उन्नति के समय के प्रति जागरुक रहें |
किसी जातक का जन्म ४, १३, २२ और ३१ तारीखों को हुआ है, वो आपके के लिए सहायक एवं सहयोगी है तथा २१ मार्च से २८ अप्रैल तथा १० जुलाई से २० अगस्त तक का समय आपके के लिए श्रेष्ठ, उन्नतिदायक एवं प्रभावशाली माना जाता है | आपका प्रधान ग्रह शनि, रत्न नीलम; नील रंग शुभ रहता है |
मूलांक ५ (5)
इस मूलांक वालों के लिए प्रधान देवता श्रीलक्ष्मीजी और ग्रह बुध होते है | आपको प्रशन्न रहने से सब कुछ समय पर मिलता रहेगा | इस अंक वालों का मस्तिष्क सर्वाधिक गतिशील रहता है | संयम से मार्गदर्शन से चलने से लाभ प्रद रहता है | आप जिस कार्य को भी प्रारंभ करते है उन पर तन-मन धन से समर्पित रहते है |
कोई नया विचार कोई नई योजना आपके दिमाग में आनी चाहिए तब से उनके कार्यान्वयन में लग जाते है | आप जो भी कार्य करे चाहे व्यवसाय, व्यापार या नौकरी सब में आपका मस्तिष्क मुख्यतः व्यापार प्रधान होते है | आपके जीवन में आकस्मिक धन प्राप्ति का योग बनता है | आपको पारिवारिक उलझन बना रह सकता है |
आपके व्यक्तित्व यह उन जातकों का मूलांक है जिनका जन्म ५, १४ और २३ तारीख को हुआ है | अनेक प्रकार के सुख भोगने वाले तथा क्रियाशील होते | और यदि २१ मई से २० जून तथा २१ अगस्त से २० सितम्बर के बीच कोई भी कार्य करने से पूर्ण लाभ मिलता है | आपका रत्न पन्ना, हरा रंग तथा बुधवार शुभ है |
मूलांक ६ (6 )
इस मूलांक वाले जातक का इष्ट ग्रह शुक्र है जिनका जन्म ६, १५ या २४ तारीख को हुआ हो तथा ६ मूलांक हो वह भाग्यशाली होता है | ये स्वभाव से सुन्दर, चतुर और रमणीय होते है |
इस अंक वाले कला, स्त्री और सुख आदि सुख भोगने वाले होते है | पैसा हो या न हो | यद्यपि इस अंक वाले जातक दुसरे की भावनाओं का ख्याल रखते है उन्हें आदर देते है | आप जिन लोगों के संपर्क में भी आते है उन्हें मित्र समझ लेते है और सहज ही उन पर विश्वास करने लग जाते है |
जो शुभ नही है | आपका जीवन प्रमुखतः भोगमय है | आपको स्वस्थ, सुन्दर दृढ एवं आकर्षक बने रहने के लिए इतना संयम आवश्यक ही है | यदाकदा आपके गार्हस्थ जीवन में काफी तनाव कभी-कभी ज्यादा हो सकता है | आपकों अधिकत्तर बीमारियाँ ऐसी होगी जो शुक्र से सम्बंधित होगी |
जब-जब भी शुक्र की स्थिति कमजोर पड़ेगी आपकों फेफड़े से सम्बंधित रोग, स्नायविक दुर्बलता, सीने की कमजोरी, मूत्ररोग, कफ- व्याधि, वीर्य दोष तथा कोष्ठ्बधता आदि बीमारियाँ ही होगी |
यथा संभव आप नशे से दूर ही रहे | यह आपका सौभाग्य है कि आपकी सहायक मिलते ही रहे है | यद्यपि आप श्रेष्ठ, सभ्य, सज्जन और सद् व्यवहारशील व्यक्ति होगे | फिर भी कुछ कमियाँ है छोड़ने से काफी आगे बढ़ेगे | आपके लिए अप्रैल, अक्टूबर या नवम्बर मास में मानसिक कष्ट लेकर आ सकता है जबकि गोचर की स्थिति श्रेष्ठ और अनुकूल होगा |
उचित समय में प्रत्येक शुभ कार्य का आरम्भ ठीक रहता है तथा उसका परिणाम अनुकुल और उन्नति प्रद मिलता है | आपके लिए बुध या शुक्र वार हो , हल्का रंग या सफेद रंग से तो और भी पूर्ण लाभ मिलेगा | आपका मूलांक ६ है अतः ६, १५, २४, ३३, ४२, ५१, ६०, ६९ और ७८ वर्ष श्रेष्ठ रहेगा |
मूलांक ७ (7)
आपका ७ मूलांक जलीय मूलांक है जिससे आप में मौलिकता, स्वतंत्र विचार शक्ति तथा विशाल व्यक्तित्व बनने का पूर्ण योग बनता है | साथ ही शांत, सरल और कल्पना प्रिय होगे | आप कला प्रेमी, मस्तिष्क इतना मौलिक और उर्वर है कि आप हर क्षण कुछ न कुछ नये सोच में रहने से अच्छा कार्य कर सकते है |
इसी प्रकार जिन वस्तुओं को लोग व्यर्थ और बेकार समझते है, उनमें भी कुछ-कुछ उपयोग कर ही लेते हो | आप सफल युक्ति कर्ता अवश्य होगे | समाज में आपको सम्मान कि दृष्टि से देखता है | वैसे सभी में ये गुण रहता है परन्तु जिनका मूलांक ७ होता है उनमे अतीन्द्रिय ज्ञान ज्यादा रहता है | इस अंक वाले अपने ही निर्देशन में चलते है |
आप गुप्त कार्य करने में रूचि रखेगे | आप में व्य[पारी प्रवृति ज्यादा रहेगा | आप किसी भी कार्य में तत्पर, जागरूक और सचेष्ट रहगे तो काफी लाभ उठा लेगे | आप सौन्दर्य, कला और स्त्री प्रेमी होगे | आपको छूत रोग का संदेह, त्वचा रोग, गठिया या नशों का रोग या पेट रोग हो सकता है | जून का मास आपके लिए शुभ और उन्नतिदायक रहेगा |
आपका मूलांक ७ है इसलिए ७, १६ तथा २५ तारीखे श्रेष्ठ रहेगा | वैसे १, १०, १९, तथा २८ तारीखे और वर्ष जिसमे ७ अंक हो जाय भी अनुकूल एवं शुभ रहेगा | आपके देवता श्रीविष्णुःजी, रवि, सोम और बुधवार, माणिक रत्न धारण, सफेद रंग मभी श्रेष्ठ और भाग्यवर्धक रहेगे |
मूलांक ८ (8)
आपके प्रधान देवता श्रीशनिदेव है | शनि का अर्थ सेवा | शनि प्रधान व्यक्ति सेवाभावी होते है | ये अंक विश्वास का अंक गिना जाता है | ज्योतिष जगत में शनि वायु तत्व प्रधान है और इसी कारण आपके जीवन और व्यक्तित्व भी वायु तत्व का सर्वाधिक प्रधान धीरे-धीरे या तीव्र गति चलने से जीवन में भी इसी प्रकार गति प्राप्त करता है |
इस अंक वाले जिद्दी, शांत, सौम्य या एकान्तप्रिय और जिम्मेदारी से युक्त होते है और वह शनि आपके अंतःकरण का स्वामी है | आपकी वृति अन्तर्मुखी अधिकतथा स्वभावतः गंभीर प्रकृति के होते है | आपका भाग्योदय सरकारी नौकरी की अपेक्षा प्राइवेट क्षेत्र में कार्य करने से या लोहा से सम्बंधित करने पर शीघ्र भाग्योदय या सफलता मिल जाती है |
आप शनि से संचालित है, अतः आपका शरीर सुडौल, गेहुआ या श्याम रंग, स्वभाव में रुखापन, चतुर और अनुभव प्रधान होगे | जीवन में झूठ कम बोले काफी नुकसान होगा | साथ ही निष्क्रिय न रहे और व्यर्थ चिंताओं से बचे |
आप जीवन में वात- गठिया, कोष्ठ्बधता, पेट, रक्तचाप तथा हृदय रोग किसी एक रोग से पीड़ित हो सकते है जब मानसिक उलझन लगातार हो | इस मूलांक वाले को शनि ग्रह उच्च या निचे ही बिलकुल ले जाते है अगर आप पथ भटक गये तो |
दिसम्बर, जनवरी मार्च और अप्रैल आपके लिए शुभ नही, परन्तु २० सितंबर से २५ अक्टूबर तथा २० फरवरी तक का समय आपके जीवन के लिए उन्नत और श्रेष्ठ समय रहेगा |
आपका मूलांक ८ है इसलिए ८, १७ और २६ तारीख श्रेष्ठ, शनिवार, रत्न नीलम, नीला, काला, भूरा या बैगनी रंग भी शुभ रहेगा | आपका मूलांक ८ है इसलिए आठ अंक वाले ८, १७, २६, ३५, ४४, ५३, ६२, ७१ तथा ८० वर्ष शुभ रह सकता | अपने जीवन में उच्च स्तर पर पहुचेगे |
मूलांक ९ (9)
इस अंक का स्वामी मंगल ग्रह होता है जो अत्यंत शक्तिशाली, युद्ध प्रेमी, शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत जातक होते है | ये शीघ्र क्रोधी, प्रकाश एवं तीक्ष्ण रश्मियों युक्त रहते है | आपको अत्यधिक जागरूक, चौकन्ना एवं मृदु रहने की आवश्यकता है |
आपको अपने जीवन का दोस्त या वैवाहिक जीवन में मित्रों का चुनाव अत्यंत सावधानी पूर्वक करना चाहिए | यद्यपि ये जातक उपर से उग्र और क्रोधी प्रतीत होते है परन्तु स्वभाव से कोमल और प्रेमी होते है | इसी कारण अनुसासन का मानदण्ड स्थापित कर सकने में समर्थ होते है | आपके जीवन में किसी दुसरे स्त्री या पत्नी के कारण वैवाहिक जीवन में उलझन का संयोग बन सकती | आप दिखावा में रहेगे जिससे काफी नुकसान में रहेगे |
आपके जीवन में रक्त या नश से सम्बंधित रोग हो सकता है | आप जल्दबाजी और उताब्लापन में न रहे उससे काफी नुकसान रह सकते है | आप न चाहते हुए भी शत्रु बन सकते है | आपको १५ मार्च से १४ अप्रैल और २१ अक्टूबर से १४ नबम्बर तक का समय आपके लिए शुभ रहेगा | इसके साथ ही ९, १८ और २७ तारीख और ३ अंक से जुड़ने वाले ३, ६, १५, २१, २४ और ३० भी शुभ और श्रेष्ठ रहेगा |
मंगल और शुक्र वार , मंगल ग्रह, लाल रंग शुभ, मुगा रत्न और देवता में श्रीहनुमानजी है जो जातक सच्चा जीवन और सच्चा भक्त बनने से सबकुछ प्राप्त कर सकते | वस्तुतः आप कई अर्थो में सौभाग्यशाली है कि आप भी ९ मूलांक से धनी है | इस अंकों का विशेष महत्व है ये वर्ष ९, १८, २७,३६, ४५, ५४, ६३, ७२, ८१ और ९० श्रेष्ठ , उन्नत और जीवन में परिवर्तन लेन वाले वर्ष होगें |
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