ज्योतिष और षड्दर्शन ज्योतिष एक ब्रह्म विद्या है जो अनेकों रूप में विद्यमान है | भारतीय ज्योतिष की विश्लेषणात्मक परिधि का विस्तार इतना है कि उसके अंतर्गत सभी सांसारिक पदार्थोँ का विश्लेषण आ ही जाता है | सभी दर्शनों का प्रतिपादन विषय एक ही है जो सार्वदेशिक और सार्वकालिक है | रस्ते भिन्न होने से भी प्रतिपाद्य विषय एक रहने पर शब्द मात्र की विभिन्नता होने पर वस्तुगत विभिन्नता नहीं होती | इसलिए सभी दर्शनों में शब्द की विभिन्नता है पर उनके लक्ष्य एक है | यथा जल प्रवाहिनी नदियों का जल प्रवाह चाहे नर्मदा मार्ग से या गंगा मार्ग से या अन्य किसी नदी मार्ग से अपने लक्ष्य रुपी समुद्र तक पहुंँचना है तो इससे किसी को आपत्ति क्यों होगी, इसी प्रकार ज्ञानी लोगों को भी लक्ष्यरुपी ईश्वर की प्राप्ति में मार्ग भिन्नता के लिए कोई विसंवाद नहीं होना चाहिए | लक्ष्य को देखना चाहिए कि वह किस मार्ग से आसानी से प्राप्त होता है अर्थात यह देखना होगा कि किस नदी का प्रवाह जल को समुद्र तक सही तक ले जाता है | इसी प्रकार सभी दर्शन शास्त्र एक ही लक्ष्य को बताते है और अपने अपने मार्ग द्वारा निजी लक्ष्य रुप तक पहुँच जाते है |...
मैं सुनील नाथ झा, एक ज्योतिषी, अंकशास्त्री, हस्तरेखा विशेषज्ञ, वास्तुकार और व्याख्याता हूं। मैं 1998 से ज्योतिष, अंक ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान, वास्तुकला की शिक्षा और अभ्यास कर रहा हूं | मैंने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान तथा लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य | मैंने वास्तुकला और ज्योतिष नाम से संबंधित दो पुस्तकें लिखी हैं -जिनके नाम "वास्तुरहस्यम्" और " ज्योतिषतत्त्वविमर्श" हैं | मैंने दो पुस्तकों का संपादन किया है - "संस्कृत व्याकर-सारः" और "ललितासहस्रनाम" |