आपका लग्न क्या है - Janiye Aapka Lagn Kya Hai? चन्द्र लग्नं शरीरं स्यात् , लग्नं स्यात् प्राणसंज्ञकम् | ते उमेसंपरिक्ष्यैव सर्व नाडी फलम्समृतम् || कुण्डली मानव जीवन के संचित प्रारब्धों की निधि है जिसमें जातक से सम्बंधित स्वास्थ्य, ज्ञान, धन, कुटुम्ब, सफलता- असफलता, उन्नति- अवन्ती, सुख- दुःख आदि का विचार राशियाँ, भावों और ग्रहों द्वारा विचार किया जाता है | चन्द्र लग्न शरीर है,लग्न प्राण है | वैसे लग्न शरीर, चन्द्र मन और सूर्य लग्न आत्मा या पराक्रम माना जाता है | इन दोनों का सम्यक् विचार करने के बाद ही कुण्डली का फल कहना चाहिए | अतः इन्हें ध्यान में रखकर जिस भाव में सूर्य और चन्द्र हो उनको भी लग्न भाव की तरह समझना चाहिए | भावादी की गणना में भी इन लग्नों को स्थान देना चाहिए तथा इससे भी वे विचार करने चाहिए जो लग्न से किये जाते है | लग्नों और राशियों को सतत परिवर्तित होते रहने से उसके फलों में भी परिवर्त्तन होता रहता है | साथ ही ग्रह भी इन भावों और राशियों को अपने प्रभाव से प्रभावित कर फलों में परिवर्त्तन लाते रहते...
मैं सुनील नाथ झा, एक ज्योतिषी, अंकशास्त्री, हस्तरेखा विशेषज्ञ, वास्तुकार और व्याख्याता हूं। मैं 1998 से ज्योतिष, अंक ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान, वास्तुकला की शिक्षा और अभ्यास कर रहा हूं | मैंने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान तथा लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य | मैंने वास्तुकला और ज्योतिष नाम से संबंधित दो पुस्तकें लिखी हैं -जिनके नाम "वास्तुरहस्यम्" और " ज्योतिषतत्त्वविमर्श" हैं | मैंने दो पुस्तकों का संपादन किया है - "संस्कृत व्याकर-सारः" और "ललितासहस्रनाम" |