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कुण्डली में षड्वर्ग विचार - Kundli Me Shadvarg Vichaar | Astrologer Dr S. N. Jha

  कुण्डली में षड्वर्ग  विचार - Kundli Me Shadvarg Vichaar गृहं होरा च द्रेष्कणो नवांशो द्वादशान्शकः | त्रिंशांशचेति षड्वर्गास्ते सौम्य ग्रहजाः शुभाः || समस्त ब्रह्माण्ड गोलाकार रुप में विद्यमान है | जिसमें ३६०ं अंश माने गये है | इन अंशों के द्वादश भाग और तीस अंश का एक लग्न माना गया है |  अथ षोडशवर्गेषु विवृणोमि विवेचनम् ,  लग्ने देहस्य विज्ञानं होरायां सम्पदादिकम् | द्रेष्काणेे भ्रातृजं सौख्यं तुर्यांशे भाग्यचिन्तनम् ,   पुत्रपौत्रादिकानां वै चिन्तनं सप्तमांशके || नवमांशे कलत्राणां  दशमांशे  महत्  फलम् ,   द्वादशांशे  तथापित्रोंश्चिन्तनं  षोडशांशके | सुखासुखस्य  विज्ञानं  वाहनानां  तथैव च ,   उपासनासा  विज्ञानं  साध्यं  विंशति भागके || विद्या  या  वेद  वाह्वेशे  भांशे चैव बलावलम् ,   त्रिंशांशके  रिष्ट्फलं खवेदांशे शुभाशुभम् | अक्षवेदविभागे  च  षष्टयंशेऽखिलमीक्षयेत् ,   यत्र  कुत्रापि  सम्प्राप्तः  क्रूरषष्टयं...