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Nervous System & Nadi Jyotish: नर्वस सिस्टम और नाड़ी तंत्र का रहस्य | Science vs Vedas

Nervous System & Nadi Jyotish: The Scientific & Vedic View

अथ सर्वस्व नाड़ी ज्ञान: नसों और ग्रहों का अद्भुत सम्बन्ध

By Dr. S.N. Jha

आधुनिक विज्ञान जिसे Nervous System कहता है, वैदिक विज्ञान में उसे 'नाड़ी तंत्र' कहा गया है। यह शरीर केवल मांस-मज्जा का ढेर नहीं है, बल्कि यह एक "चलता-फिरता देवालय" है जिसमें ईश्वरीय शक्ति (Cosmic Energy) नाड़ियों के माध्यम से बहती है।

Infographic comparing the scientific human nervous system with the Vedic Nadi Jyotish system, showing the spinal cord, brain, and nerves alongside Ida, Pingala, Sushumna nadis, and planetary alignment along the spine.
Fig 1: The Bridge between Science and Vedas. The left side shows the biological Nervous System (Brain & Nerves), while the right side illustrates the Vedic Nadi System (Ida, Pingala, Sushumna), showing how the 9 Planets influence specific points along the spinal cord.

1. इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना: The 3 Main Channels

मस्तिष्क के भीतर कपाल के नीचे एक छिद्र है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। वहीं से सुषुम्ना नाड़ी (Spinal Cord) मूलाधार तक गई है।

  • इड़ा नाड़ी (Left Sympathetic): यह शरीर के बायीं तरफ है। इसमें 'चंद्र स्वर' (Moon Energy) होता है। यह शीतलता प्रदान करती है।
  • पिंगला नाड़ी (Right Sympathetic): यह दायीं तरफ है। इसमें 'सूर्य स्वर' (Sun Energy) होता है। यह उष्णता (Heat) और सक्रियता लाती है।
  • सुषुम्ना नाड़ी (Central Canal): जब दोनों स्वर संतुलित होते हैं, तब सुषुम्ना जाग्रत होती है। इसी से सिक्स्थ सेंस (Sixth Sense) या 'छठी इंद्री' सक्रिय होती है।

2. सिक्स्थ सेंस (Sixth Sense) क्या है?

छठी इंद्री को 'परामनोविज्ञान' भी माना जाता है। यह मन का वह केंद्रबिंदु है जो भृकुटी के मध्य (Ajna Chakra) स्थित है।

जाग्रत होने के लक्षण:

  • भविष्य में झाँकने की क्षमता (Premonition)।
  • मीलों दूर बैठे व्यक्ति की बातें सुनना (Telepathy)।
  • किसी के मन के विचार पढ़ लेना।
  • पीछे खड़े व्यक्ति का आभास होना।

वैज्ञानिक कहते हैं कि हम अपने दिमाग का केवल 15-20% हिस्सा ही इस्तेमाल करते हैं। प्राणायाम और ध्यान के द्वारा सुषुम्ना को सक्रिय करके हम शेष भाग को जाग्रत कर सकते हैं।


3. मेरुदंड और ग्रह: The Spine & Planets (Medical Astrology)

यह ज्योतिष का सबसे गहरा रहस्य है। हमारी रीढ़ की हड्डी (Vertebral Column) में जो कशेरुकाएं (Vertebrae) हैं, उनका सीधा सम्बन्ध 9 ग्रहों से है।

Table: Vertebrae & Planetary Influence

(Based on Medical Astrology Principles)

Vertebrae (कशेरुका) Planet (ग्रह) Medical/Mental Effect
6th Vertebra Rahu (राहु) Ingla Nadi Blockage. Causes Hysteria, Madness, Epilepsy (मृगी), and sudden Anger.
9th Vertebra Sun (सूर्य) Ophthalmic System. Defects here cause blindness or eye diseases. This connects to the 'Pragalbha Vahini' of Ingla Nadi.
4th Vertebra Pingala Nadi Concentration of Semen (Shukra). Affects progeny and vitality. Strong Pingala leads to male progeny.
3rd Vertebra Saturn (शनि) Controls Grey Matter toxins. Warning: Misplacement of Blue Sapphire (Neelam) affects this vertebra directly.

4. हस्तरेखा और नाड़ियाँ (Palmistry & Nerves)

हाथों में जो रेखाएं हैं, वे वास्तव में नाड़ियों (Nerves) की विभाजक रेखाएं हैं। जब किसी ग्रह की ऊर्जा कशेरुका (Spine) से प्रवाहित होती है, तो वह हथेली पर एक विशेष आकृति बनाती है:

Diagram of Human Hand showing Palmistry Lines (Hastrekha) and Planetary Mounts like Sun, Saturn, and Jupiter. Visualizes the connection between Nerves (Nadis) and Astrological lines in Medical Astrology
Fig 2: The Map of Nadis. The lines you see (Heart, Head, Life) are actually the endings of major Nadis connected to the Brain and Spine. The Mounts show which Planet rules which set of nerves.
  • शंख (Conch) और चक्र (Whorl): ये उत्तम नाड़ियों के लक्षण हैं।
  • जाल (Net): यह दूषित नाड़ी और मानसिक उलझन का प्रतीक है।

रत्न धारण का रहस्य (Gemstone Warning):
केवल राशि देखकर नीलम (Blue Sapphire) या पन्ना नहीं पहनना चाहिए। यह देखना चाहिए कि उंगली में 'सीप' जैसी पतली रेखाएं (Nerve Endings) कैसी हैं। यदि शनि (Saturn) की नाड़ी (3rd Vertebra) दूषित है, तो नीलम पहनने से लकवा या स्नायु रोग हो सकता है।


5. नाड़ी और कुंडलिनी विज्ञान

हमारे शरीर में 72,000 नाड़ियाँ हैं (शिव संहिता के अनुसार 3.5 लाख)। ये सभी कुंडलिनी (Kundalini) से जुड़ी हैं जो रीढ़ के आधार (Root Chakra) में स्थित है।

जब हम अपशब्द सुनते हैं, तो कानों की नाड़ियाँ विक्षोभ (Signal) को कुंडलिनी तक पहुंचाती हैं। यदि कुंडलिनी पर मलिनता (Toxins/Bad Karma) का आवरण है, तो व्यक्ति क्रोधित होता है। यदि नाड़ियाँ शुद्ध हैं, तो व्यक्ति शांत रहता है।

6. नाड़ी परीक्षा (Ayurvedic Diagnosis)

महर्षि रावण और चरक के अनुसार, दीपक के सामने जैसे सब स्पष्ट दिखता है, वैसे ही नाड़ी वैद्य (Pulse Reader) को रोगी के वात, पित्त और कफ का ज्ञान हो जाता है।

"दर्शनस्पर्शनप्रश्नैः परीक्षेताथ रोगिणम्।"
(रोगी को देखकर, छूकर और प्रश्न पूछकर रोग का निदान करें।)

Medical Astrology Consultation

क्या आप स्नायु रोग (Nerve Pain), डिप्रेशन, या अज्ञात भय से पीड़ित हैं? यह आपकी कुंडली में 'बुध' या 'राहु' के कारण रीढ़ की हड्डी (Vertebrae) में असंतुलन हो सकता है।

Dr. S.N. Jha - Expert in Vedic & Medical Astrology

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